भारत के कई राज्य लू की चपेट में हैं। भीषण गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है। अप्रैल माह में ही देश के कई शहरों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से 45 डिग्री सेल्सियस दर्ज किए गए। भारत मौसम विभाग (आईएमडी) हर दिन अपने बुलेटिन में लू को लेकर चेतावनी जारी कर रहा है। आईएमडी के अनुसार, अप्रैल और जून के बीच अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है। मध्य भारत, उत्तर के मैदानी इलाकों और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में कई दिनों तक लू चलने का अनुमान है। इन राज्यों में गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं।
अब तक, अप्रैल महीना असामान्य रूप से गर्म रहा है। आईएमडी के अनुसार, इस महीने के पहले 26 दिनों में, भारत के किसी न किसी हिस्से में, कहीं छोटे इलाके में तो कहीं बड़े इलाके में, लू चलने की स्थिति बनी रही। इनमें दक्षिणी भारत और दक्षिण-पूर्वी तटीय इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वहीं उत्तरी मैदानी इलाकों में भी लू जैसी स्थिति बनी हुई है।
आईएमडी लू की घोषणा कब करता है?
आईएमडी की मानें तो लू से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके या राज्य- राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिमी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र में विदर्भ, गंगा के किनारे वाले पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से, आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके और तेलंगाना होते हैं। आईएमडी गर्मी को लू तब घोषित करता है, जब मैदानी इलाकों में कम से कम दो जगहों पर सामान्य से ज्यादा तापमान दर्ज होता है। अगर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाए या सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो जाए तो लू घोषित की जाती है। वहीं पहाड़ी इलाकों में तापमान जब 30 डिग्री सेल्सियस और तटीय क्षेत्रों में यह 37 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है तो लू की घोषणा की जाती है।
भीषण गर्मी की क्या है वजह?
आईएमडी ने अप्रैल के दौरान भारत के कुछ हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ने की चेतावनी दी थी। इसके दो प्रमुख कारण बताए थे। एक अल नीनो और दूसरा दक्षिण प्रायद्वीपीय और दक्षिण पूर्वी तटीय क्षेत्रों में ऐंटीसाइक्लोन सिस्टम की लगातार मौजूदगी। अल नीनो आमतौर पर प्रशांत महासागर में समुद्री सतह के तापमान के बढ़ने से होता है। अल नीनो और एंटीसाइक्लोन सिस्टम ने अप्रैल के दौरान प्रचंड गर्मी की स्थिति और लू की स्थिति पैदा की। खासकर गंगा के तटवर्ती पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में।
द इंडियन एक्सप्रेस ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन के हवाले से एक रिपोर्ट में लिखा हैः मौसम विभागों की रिपोर्ट और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संघ के पैनल (IPCC) की जानकारी बताती है कि अब गर्मी की लहरें सिर्फ उन्हीं इलाकों में नहीं पड़ेंगी जिन्हें पहले खतरे वाला माना जाता था. बल्कि, अब दक्षिण भारत जैसे नए इलाकों में भीषण गर्मी पड़ने लगी है।
आईएमडी ने कह है कि अप्रैल से जून की अवधि के दौरान अत्यधिक गर्मी पड़ेगी। इसका सबसे अधिक प्रभाव मध्य और पश्चिमी प्रायद्वीपीय भागों पर पड़ने की आशंका है। हालांकि, मध्य प्रदेश को छोड़कर गेहूं उत्पादक राज्यों के लिए लू की कोई चेतावनी नहीं है। मध्य भारत और पश्चिमी भारत में सामान्य से ऊपर तापमान बने रहने की संभावना जताई गई है।
सोमवार 29 अप्रैल को देश के 5 शहरों में तापमान 44 से 46 डिग्री सेल्सियस के बीच मापा गया। पश्चिम बंगाल के कलईकुंडा में अधिकतम तापमान 45.4 डिग्री सेल्सियस , सौराष्ट्र कच्छ के कंडाला में 45.4 डिग्री सेल्सियस , आंध्र प्रदेश के नंदयाल में 45.0 डिग्री सेल्सियस , ओडिशा के बरीपड़ा में 44.8 डिग्री सेल्सियस और यूपी के प्रयागराज में 44.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।