नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) में शुक्रवार शाम एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, यह भूकंप शाम 7:49 बजे आया और इसकी तीव्रता 3.7 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई। भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था।
दिल्ली-एनसीआर में यह दो दिनों के भीतर दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इससे पहले गुरुवार सुबह भी इसी क्षेत्र में 4.4 तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसका केंद्र भी झज्जर में ही था।
एनसीएस ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा: “EQ of M: 3.7, On: 11/07/2025 19:49:43 IST, Lat: 28.68 N, Long: 76.72 E, गहराई: 10 Km, लोकेशन: झज्जर, हरियाणा।”
स्थानीय लोगों के अनुसार, भूकंप के झटकों से डर का माहौल बन गया। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए झज्जर के एक निवासी ने कहा, “आज भी झटके महसूस किए गए। हम ऊपरवाले से प्रार्थना करते हैं कि सब ठीक रहे।”
दिल्ली-एनसीआर में क्यों बार-बार आते हैं भूकंप?
दिल्ली सीस्मिक जोन IV में आता है, जिसे "उच्च खतरे वाला भूकंपीय क्षेत्र" माना जाता है। यह क्षेत्र हिमालय बेल्ट के करीब स्थित है, जहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर के कारण जमीन में अस्थिरता बनी रहती है। यही कारण है कि दिल्ली और इसके आसपास के इलाके समय-समय पर भूकंप से प्रभावित होते हैं।
भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारी धरती की सतह मुख्य रूप से सात बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी है। ये प्लेट्स लगातार हरकत करती रहती हैं और अक्सर आपस में टकराती हैं। इस टक्कर के परिणामस्वरूप प्लेट्स के कोने मुड़ सकते हैं और अत्यधिक दबाव के कारण वे टूट भी सकते हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर फैलने का रास्ता खोजती है और यही ऊर्जा जब जमीन के अंदर से बाहर आती है तो भूकंप आता है।
दिल्ली में झज्जर, रोहतक जैसे स्थानीय केंद्रों के अलावा हिमाचल, नेपाल और अफगानिस्तान जैसे दूरस्थ क्षेत्रों से भी झटके महसूस होते हैं। इसके साथ ही, बढ़ती आबादी, अनियंत्रित निर्माण कार्य और पुरानी बुनियादी संरचनाएं इस क्षेत्र को और भी अधिक संवेदनशील बना देती हैं।
इससे पहले भी आ चुके हैं झटके
इस साल 17 फरवरी को भी दिल्ली-एनसीआर में 4.0 तीव्रता वाला भूकंप आया था। सुबह 5:36 बजे आए इस भूकंप का केंद्र नई दिल्ली से 9 किलोमीटर पूर्व था। उस समय भी कई लोग झटकों के डर से घरों से बाहर निकल आए थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन बार-बार आने वाले भूकंपों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। लोगों को भूकंप से बचाव संबंधी उपायों की जानकारी होनी चाहिए और इमारतों को भूकंपीय सुरक्षा मानकों के अनुसार तैयार किया जाना चाहिए।