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कविता

कविता जन्म: 15 अगस्त, मुज़फ्फरपुर (बिहार)। पिछले ढाई दशकों से कहानी की दुनिया में सतत सक्रिय कविता स्त्री जीवन के बारीक रेशों से बुनी स्वप्न और प्रतिरोध की सकारात्मक कहानियों के लिए जानी जाती हैं। नौ कहानी-संग्रह - 'मेरी नाप के कपड़े', 'उलटबांसी', 'नदी जो अब भी बहती है', 'आवाज़ों वाली गली', ‘क से कहानी घ से घर’, ‘उस गोलार्द्ध से’, 'गौरतलब कहानियाँ', 'मैं और मेरी कहानियाँ' तथा ‘माई री’ और दो उपन्यास 'मेरा पता कोई और है' तथा 'ये दिये रात की ज़रूरत थे' प्रकाशित। 'मैं हंस नहीं पढ़ता', 'वह सुबह कभी तो आयेगी' (लेख), 'जवाब दो विक्रमादित्य' (साक्षात्कार) तथा 'अब वे वहां नहीं रहते' (राजेन्द्र यादव का मोहन राकेश, कमलेश्वर और नामवर सिंह के साथ पत्र-व्यवहार) का संपादन। रचनात्मक लेखन के साथ स्त्री विषयक लेख, कथा-समीक्षा, रंग-समीक्षा आदि का निरंतर लेखन। बिहार सरकार द्वारा युवा लेखन पुरस्कार, अमृत लाल नागर कहानी पुरस्कार, स्पंदन कृति सम्मान और बिहार राजभाषा परिषद द्वारा विद्यापति सम्मान से सम्मानित। कुछ कहानियां अंग्रेज़ी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित।

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स्मरण: क्या इस्मत ही शम्मन हैं?

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दृश्यम: तमस का अतीत और अतीत का तमस

Chithiya, namwar, rajendra yadav,

चिठिया हो तो हर कोई बांचे

manohar shyam joshi 99

स्मरण: मनोहर श्याम जोशी- हिंदी धारावाहिकों के ऐसे भीष्म पितामह, जिन्हें शर शय्या पर इंतजार करना गंवारा नहीं था

katha aktha 1

आत्मसम्मान आत्मस्वीकृतियां आत्मश्लाघाएं और आत्मतर्पण

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स्मरण: मीना कुमारी- जाने क्या ढूंढती रहती थी वो आँखें...

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स्मरण: गुरु दत्त- एक जीवंत त्रासदी के पूरे सौ बरस

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चिठिया हो तो हर कोई बांचे

katha aktha 1

कृतित्व बनाम व्यक्तित्व: कागज़ी है पैरहन

awara masiha book, vishnu prabhakar,

स्मरणः एक गांधीवादी लेखक और उसका आवारा मसीहा