ढाका: बांग्लादेश पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) ने गुरुवार की मध्य रात्रि की तलाशी के बाद देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अबुल बरकत को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। डीबी के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। शेख हसीना के शासनकाल के दौरान अबुल बरकत सरकारी स्वामित्व वाले जनता बैंक के अध्यक्ष थे।

समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीबी) के संयुक्त आयुक्त नसीरुल इस्लाम ने फोन पर बताया, 'हमने एसीसी (भ्रष्टाचार विरोधी आयोग) मामले में आरोपी के रूप में अबुल बरकत को गिरफ्तार किया है। हम उन्हें एसीसी को सौपेंगे।'

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार अवामी लीग के समय में एनोंटेक्स नामक कंपनी द्वारा ऋण धोखाधड़ी के माध्यम से करोड़ों टका का गबन करने के आरोप में अबुल बरकत सहित 30 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

अबुल बरकत की बेटी ने क्या बताया?

अबुल बरकत की बेटी अरुणी बरकत ने एएनआई को बताया, 'कल रात 20 से 25 लोग, जो खुद को डीबी पुलिस बता रहे थे, मेरे पिता के बेडरूम में घुस गए और उन्हें ले गए। उन्होंने कोई वारंट कॉपी नहीं दिखाई। हम उनके खिलाफ कानूनी तौर पर मुकदमा लड़ने जा रहे हैं।'

उन्होंने आगे कहा, 'हमें मीडिया रिपोर्ट से मामले के बारे में पता चला। किसी ने हमें मामले के बारे में नहीं बताया। कोई भी जाँच करने नहीं आया। अगर वे जाँच करने आते, तो हम निश्चित रूप से सहयोग करते।'

उन्होंने कहा, 'मेरे पिता ने 40 साल तक ढाका विश्वविद्यालय में पढ़ाया। वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। मेरी माँ भी एक शिक्षिका थीं। मैंने अपने पिता को केवल लोगों की भलाई करते देखा। हमें निराशा है कि उन्हें बिना किसी जाँच के गिरफ्तार कर लिया गया।'

बांग्लादेश में कौन लोग निशाने पर?

बांग्लादेश में पिछले साल तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता के तख्तापलट के बाद से भी अराजक स्थिति बनी हुई है। खासकर आवामी लीग और शेख हसीना के समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है। इसके अलावा हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों को भी निशाना बनाने की खबरें आती रही हैं। ऐसे में अल्पसंख्यक समुदाय लगातार अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं।

पिछले ही महीने 28 जून को, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद, अल्पसंख्यक एकता मोर्चा और बांग्लादेश पूजा उत्सव परिषद ने ढाका प्रेस क्लब के सामने और पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया।

इस दौरान इन संगठनों के लोगों ने इस बात पर जोर दिया कि 1971 में मुक्ति संग्राम के माध्यम से एक समावेशी, धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। हालाँकि, घरेलू और विदेशी, दोनों तरह की सांप्रदायिक ताकतें अब अंतरिम सरकार का इस्तेमाल धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने के लिए कर रही हैं। इसमें उनके घरों को लूटना, पूजा स्थलों में तोड़फोड़ करना, झूठे धार्मिक आधार पर उन पर हमला करना और देश भर के अल्पसंख्यक नेताओं के खिलाफ मुकदमे दायर करना जैसे कृत्य शामिल है।