दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने कन्हैयालाल हत्याकांड पर बनी फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसके कंटेंट पर निर्णय लेने को कहा है। फिल्म 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी।
दिल्ली हाई कोर्ट में फिल्म की रिलीज पर रोक की मांग करते हुए तीन याचिकाएं दायर की गईं थीं। इनमें से एक याचिका जमियत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि फिल्म में मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश की जा रही है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई डीके उपाध्याय और अनीश दयाल की खंडपीठ ने किया है। सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र सरकार को फिल्म की जांच के लिए सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की धारा- 6 के तहत अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग करने का आदेश दिया।
न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार स्वतः संज्ञान लेकर या किसी फिल्म प्रमाणपत्र के विरुद्ध किसी पीड़ित व्यक्ति द्वारा दायर आवेदन पर अपनी इस शक्ति का प्रयोग कर सकती है। हालांकि, न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने इस उपाय का सहारा नहीं लिया।
अदालत ने हालांकि सुनवाई करने के लिए कहा कि अनुच्छेद-226 के तहत अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले केंद्र सरकार के पास जाना चाहिए था।
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि फिल्म के खिलाफ अंतरिम राहत की प्रार्थना पर भी विचार करना चाहिए। पीठ ने निर्देश दिया कि इस बीच फिल्म की रिलीज पर रोक रहेगी।
CBFC ने हटाए थे आपत्तिजनक हिस्से
सीबीएफसी ने बुधवार को अदालत को बताया था कि फिल्म से कुछ आपत्तिजनक हिस्से हटा दिए गए हैं। अदालत ने निर्माता को निर्देश दिया था कि वह बोर्ड तथा याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकीलों के लिए फिल्म और ट्रेलर की स्क्रीनिंग की व्यवस्था करे।
याचिकाकर्ताओं ने फिल्म को लेकर आपत्ति जताई थी कि यह समाज में विद्वेष की भावना को भड़का सकती है और सीबीएफसी द्वारा दिए गए प्रमाणन पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
मदनी की ओर से इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए थे और सीबीएफसी की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा पेश हुए थे।
कन्हैयालाल की हत्या 28 जून 2022 को गला रेतकर कर दी गई थी। आरोपियों ने इस घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया था।