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मनीषा कुलश्रेष्ठ

मनीषा राजस्थान में जन्मी, पली-बढ़ी हैं। ग्रेजुएशन तक विज्ञान पढ़ा है। मनीषा, एक वायुसेना अधिकारी की पत्नी हैं ‌ इनके सात उपन्यास और दस कथा-संकलन प्रकाशित हो चुके हैं, जिन्हें पाठकों के बहुत सराहा है। भारतेन्दु की प्रेयसी और प्रेरणा पर इनका उपन्यास ‘मल्लिका’ बहुप्रशंसित रहा, जिसे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म के लिए साइन कर लिया गया है। इनका ताज़ा उपन्यास त्रिमाया भी काफी पढ़ा जा रहा है, जो मातृसत्तात्मक हाथियों के समाज के बरक्स भारतीय मातृसत्तातमक समाजों को केंद्र में रख कर लिखा गया है। मनीषा को बहुत से पुरस्कार, सम्मान और फैलोशिप्स मिल चुके हैं, साहित्यिक प्रयोजनों से अनेक विदेश यात्राएँ कर चुकी हैं। इनकी किताबों के अंग्रेजी सहित कुछ अन्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं। आजकल मनीषा जयपुर में रहती हैं और कहानी लेखन पर एक सालाना कार्यशाला ‘कथाकहन’ का आयोजन करती हैं।

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निर्देश निधि 

नाम-  निर्देश निधि   शिक्षा – एम. फिल. (इतिहास)  अबतक दो कहानी संग्रह झाँनवाद्दन’- (2017 ), सरोगेट मदर(2021)  और कविता संग्रह  'नदी नीलकंठ नहीं होती' प्रकाशित। ग्यारहवें विश्व हिन्दी सम्मेलन (मॉरीशस) में भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भागीदारी। जन कल्याणकारी कार्यों में सक्रिय, विशेषकर छोटे बच्चों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य से सम्बन्धित ।पर्यावरण के सुरक्षित रख - रखाव के लिए लेखन एवं व्यावहारिक सक्रियता। कई सम्मान और पुरस्कारों की प्राप्ति। 

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रश्मि शर्मा

रश्मि शर्मा राँची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्‍नातक और इतिहास में स्नातकोत्तर हैं। प्रकाशनः 'बंद कोठरी का दरवाजा', ‘सपनों के ढाई घर’ (कहानी संग्रह) 'नदी को सोचने दो', 'मन हुआ पलाश', ‘वक़्त की अलगनी पर' (कविता संग्रह)। फेलोशिप और सम्मानः सी.एस. डी. एस .नेशनल इनक्लूसिव मीडिया फेलोशिप, सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न सम्मान, शैलप्रिया स्मृति सम्मान, झारखंड गौरव सम्मान और रामछबिला त्रिपाठी वाग्देवी सम्मान। कुछ कहानियों और कविताओं का अंग्रेजी, उर्दू और मराठी में अनुवाद।

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उमेश कुमार पाण्डेय

डॉ उमेश कुमार पाण्डेय राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर छत्तीसगढ़ में हिंदी के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। प्रारंभिक शिक्षा गांव और रीवा से। बी.ए. और एम.ए. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से पीएचडी की उपाधि। आदिवासी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर कई शोध आलेख प्रकाशित। आदिवासी जीवन और संस्कृति पर गंभीर अध्येता की छवि। पठन-पाठन में गहरी रुचि।

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संजय कुंदन

जन्म: 7 दिसंबर, 1969, पटना में पटना विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए। संप्रति: वाम प्रकाशन, नई दिल्ली में संपादक। प्रकाशित कृतियां: कागज के प्रदेश में (कविता संग्रह), चुप्पी का शोर (कविता संग्रह), योजनाओं का शहर (कविता संग्रह), तनी हुई रस्सी पर (कविता संग्रह), बॉस की पार्टी (कहानी संग्रह), श्यामलाल का अकेलापन (कहानी संग्रह), टूटने के बाद (उपन्यास), तीन ताल (उपन्यास), ज़ीरो माइल पटना (संस्मरण)। पुरस्कार/सम्मान: भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार, हेमंत स्मृति सम्मान, विद्यापति पुरस्कार और बनारसी प्रसाद भोजपुरी पुरस्कार। अनुवाद कार्य: एनिमल फार्म (जॉर्ज ऑरवेल), लेटर्स ऑन सेज़ां (रिल्के), पैशन इंडिया (जेवियर मोरो) और वॉशिंगटन बुलेट्स (विजय प्रशाद), आवर हिस्ट्री, देयर हिस्ट्री, हूज हिस्ट्री (रोमिला थापर) का हिंदी में अनुवाद। रचनाएं अंग्रेजी, गुजराती, पंजाबी, मराठी, असमिया और नेपाली में अनूदित।

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नीरज खरे

प्रकाशन - ‘बीसवीं सदी के अंत में हिन्दी कहानी’, ‘कहानी का बदलता परिदृश्य’, ‘आलोचना के रंग’ और ‘उन्मुक्त रास्तों पर हिन्दी कहानी’। सम्पादन - ‘प्रेमचन्द और हमारा समय’, 'हिन्दी कहानी वाया आलोचना' ‘एक कौड़ी दिल से’ (स्वयं प्रकाश की प्रतिनिधि कहानियों का संकलन) और ‘मार्कण्डेय : चुनी हुई कहानियाँ’ पुरस्कार/सम्मान - 'मीरा स्मृति पुरस्कार', ‘स्पंदन आलोचना सम्मान’ और ‘मलयज स्मृति आलोचना सम्मान’। सम्प्रति : प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी - 221 005

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मनोज कुमार पांडेय

7 अक्टूबर 1977 को इलाहाबाद के एक गाँव सिसवाँ में जन्म। लम्बे समय तक लखनऊ और वर्धा में रहने के बाद 2020 से फिर से इलाहाबाद में। कुल छह किताबें - ‘शहतूत’, `पानी’, `खजाना’, `बदलता हुआ देश’ और ‘प्रतिरूप’ (कहानी संग्रह), ‘प्यार करता हुआ कोई एक’ (कविता संग्रह) - प्रकाशित। कई किताबों का सम्पादन। देश की अनेक नाट्य संस्थाओं द्वारा कई कहानियों का मंचन। कई कहानियों पर फिल्में भी। अनेक रचनाओं का उर्दू, पंजाबी, नेपाली, मराठी, उड़िया, बांग्ला, गुजराती, मलयालम तथा अंग्रेजी आदि भाषाओं में अनुवाद। कहानी और कविता के अतिरिक्त आलोचना और सम्पादन के क्षेत्र में भी रचनात्मक रूप से सक्रिय। कहानियों के लिए स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान (2021) वनमाली युवा कथा सम्मान (2019), राम आडवाणी पुरस्कार (2018), रवीन्द्र कालिया स्मृति कथा सम्मान (2017), स्पन्दन कृति सम्मान (2015), भारतीय भाषा परिषद का युवा पुरस्कार (2014), मीरा स्मृति पुरस्कार (2011), विजय वर्मा स्मृति सम्मान (2010), प्रबोध मजुमदार स्मृति सम्मान (2006)। सम्प्रति : सम्पादक, लोकभारती प्रकाशन (राजकमल प्रकाशन समूह)

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सविता पाठक

सविता पाठक का जन्म जौनपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ है। उन्होंने अपनी शिक्षा विभिन्न शहरों में प्राप्त की। हिन्दी की कई प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में लेख और कहानियाँ प्रकाशित। इसके अलावा सविता अनुवाद करती है। डॉ. आंबेडकर की आत्मकथा वेटिंग फॉर वीजा का अनुवाद। क्रिस्टीना रोसोटी की कविताओं के अलावा कई लातिन अमरीकी कविताओं का अंग्रेजी से अनुवाद। पाखी के सलाना अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित। वीएस नायपाल के साहित्य पर शोध। हाल में ही इनका उपन्यास ‘कौन से देस उतरने का’ लोकभारती प्रकाशन से आया है जिसकी काफी चर्चा हुई। हिस्टीरिया और अन्य कहानियाँ नाम से कहानी संग्रह। फिलहाल सविता पाठक दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध एक कालेज में अंग्रेजी साहित्य का अध्यापन करती हैं।

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हृषीकेश सुलभ

वरिष्ठ कथाकार, उपन्यासकर, नाटककार और रंग आलोचक।

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पवन करण

पवन करण का जन्म 18 जून, 1964 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ। उन्होंने पी-एच.डी. (हिन्दी) की उपाधि प्राप्त की। जनसंचार एवं मानव संसाधन विकास में स्नातकोत्तर पत्रोपाधि। उनके प्रकाशित कविता-संग्रह हैं-‘ इस तरह मैं’, ‘स्त्री मेरे भीतर’, ‘अस्पताल के बाहर टेलीफोन’, ‘कहना नहीं आता’, ‘कोट के बाजू पर बटन’, ‘कल की थकान’, ‘स्त्रीशतक’ (दो खंड) और ‘तुम्हें प्यार करते हुए’। अंग्रेजी, रूसी, नेपाली, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, असमिया, बांग्ला, पंजाबी, उड़िया तथा उर्दू में उनकी कविताओं के अनुवाद हुए हैं और कई कविताएँ विश्वविद्यालयीन पाठ्यक्रमों में भी शामिल हैं। ‘स्त्री मेरे भीतर’ मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, उर्दू तथा बांग्ला में प्रकाशित है। इस संग्रह की कविताओं के नाट्य-मंचन भी हुए। इसका मराठी अनुवाद ‘स्त्री माझ्या आत’ नांदेड महाराष्ट्र विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल और इसी अनुवाद को गांधी स्मारक निधि नागपुर का ‘अनुवाद पुरस्कार’ प्राप्त। ‘स्त्री मेरे भीतर’ के पंजाबी अनुवाद को 2016 के ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया। उन्हें ‘रामविलास शर्मा पुरस्कार’, ‘रजा पुरस्कार’, ‘वागीश्वरी पुरस्कार’, ‘शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान’, ‘परम्परा ऋतुराज सम्मान’, ‘केदार सम्मान’, ‘स्पंदन सम्मान’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। सम्प्रति : ‘नवभारत’ एवं ‘नई दुनिया’, ग्वालियर में साहित्यिक पृष्ठ ‘सृजन’ का सम्पादन तथा साप्ताहिक-साहित्यिक स्तम्भ ‘शब्द-प्रसंग’ का लेखन। ई-मेल : [email protected]