नई दिल्ली: अमेरिका ने रविवार को ईरान परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए। इसके साथ ही वह भी ईरान के खिलाफ इजराइल की ओर से की जा रही कार्रवाई में सीधे तौर पर शामिल हो गया है। ईरान का अब अगला कदम क्या होगा, इसे लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। साथ ही अमेरिका के हमले के बाद ईरान किस हद तक नुकसान हुआ है, इसे लेकर भी काफी कुछ कहा जा रहा है। अमेरिका ने कहा है कि उसने ईरान के परमाणु ठिकानों को काफी नुकसान पहुंचाया है। ईरान की ओर से इस पर आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। इन सबके बीच सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दावा किया अमेरिका ने ईरान पर 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' के लिए भारत के एयरस्पेस का इस्तेमाल किया। इस तरह के दावों की सच्चाई क्या है, आईए जानते हैं।
क्या ईरान पर हमले के लिए भारत के एयरस्पेस का हुआ इस्तेमाल?
प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि भारतीय हवाई क्षेत्र का कभी उपयोग नहीं किया गया और सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे झूठे हैं। रविवार देर शाम पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट ने सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों का खंडन करते हुए इसे 'फर्जी' बताया और कहा, 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारतीय हवाई क्षेत्र का उपयोग नहीं किया गया था।'
पीआईबी की ओर से जारी स्पष्टीकरण में अमेरिकी संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल डैन केन की प्रेस ब्रीफिंग का हवाला दिया गया, जिसमें उन्होंने अमेरिकी विमानों द्वारा अपनाए गए रास्तों के बारे में बताया था।
Several social media accounts have claimed that Indian Airspace was used by the United States to launch aircrafts against Iran during Operation #MidnightHammer #PIBFactCheck
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) June 22, 2025
❌ This claim is FAKE
❌Indian Airspace was NOT used by the United States during Operation… pic.twitter.com/x28NSkUzEh
पीआईबी के फैक्ट चेक यूनिट ने एक्स पर पोस्ट किया, 'कई सोशल मीडिया अकाउंट्स ने दावा किया है कि ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के दौरान ईरान के खिलाफ विमान लॉन्च करने के लिए अमेरिका ने भारतीय हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया था। यह दावा फर्जी है। ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के दौरान अमेरिका ने भारतीय हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं किया था। प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल डैन केन ने अमेरिकी विमानों द्वारा इस्तेमाल किए गए मार्ग के बारे में बताया है।'
ईरान पर अमेरिकी हमलों को लेकर भारत की प्रतिक्रिया कैसी रही?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों को लेकर फोन पर चर्चा की। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और शत्रुता में कमी लाने की आवश्यकता पर बल दिया।
पीएम मोदी ने तनाव कम करने के भारत के रुख की पुष्टि करते हुए कहा कि बातचीत और कूटनीति ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। पीएम मोदी के एक्स हैंडल से इस बारे में पोस्ट किया गया, 'हमने मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा की। हाल ही में हुई तनातनी पर गहरी चिंता व्यक्त की। आगे बढ़ने के लिए तत्काल तनाव कम करने, बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने का अपना आह्वान दोहराया और क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की जल्द बहाली की बात कही।'
गौरतलब है कि समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिकी हमलों के बाद ईरानी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी से संपर्क किया था।
दोनों नेताओं के बीच 45 मिनट की बातचीत हुई। इस दौरान ईरानी राष्ट्रपति ने स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने भारत को क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने वाला मित्र और साझेदार बताया। साथ ही भारत के समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया तथा तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति की अपील की।
अमेरिका ने ईरान पर कैसे किया हमला?
अमेरिका ने रविवार तड़के ईरान में तीन परमाणु ठिकानों - फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हवाई हमले किए। इसकी पुष्टि ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने भी की है। ईरान और संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निगरानी संस्था दोनों ने कहा कि किसी भी स्थान पर रेडियोधर्मी रिसाव का तत्काल कोई संकेत नहीं मिला है।
अमेरिका के ज्वायंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल डैन केन ने बताया कि मिशन के हिस्से के रूप में, सात बी-2 बमवर्षक विमानों ने 14 बंकर-बस्टर बम गिराने के लिए अमेरिका से ईरान तक 18 घंटे की उड़ान भरी।
कुल मिलाकर, अमेरिका ने ऑपरेशन में 75 सटीक-निर्देशित हथियारों का इस्तेमाल किया, जिसमें दो दर्जन से अधिक टॉमहॉक मिसाइलें शामिल थीं। केन ने कहा कि ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमलों में कुल मिलाकर 125 से अधिक अमेरिकी सैन्य विमान शामिल थे।
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