तेहरान: ईरानी संसद ने रविवार को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करते हुए होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का समर्थन किया है। यह कदम अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद उठाया गया है। होर्मुज जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे अहम तेल परिवहन मार्गों में से एक है और इस पर नियंत्रण वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर सीधा असर डाल सकता है।

हालांकि, इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल और देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई द्वारा लिया जाएगा। संसद का यह प्रस्ताव केवल उन्हें इस विकल्प के समर्थन की सूचना देने वाला कदम है।

अमेरिका के 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' के बाद स्थिति तनावपूर्ण

ईरानी संसद के राष्ट्रीय सुरक्षा आयोग के सदस्य और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर इस्माइल कोसारी ने रविवार को मीडिया को बताया, 'संसद इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर दिया जाना चाहिए, लेकिन अंतिम निर्णय सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पास है।'

ईरानी संसद में यह वोट अमेरिका द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' के बाद हुआ जिसमें अमेरिकी बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया। कुल 125 सैन्य विमान इस हमले में शामिल थे और 25 मिनट में पूरा अभियान पूरा किया गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और इन परमाणु ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया है। हालांकि, संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टाफ चेयरमैन जनरल डैन कैन ने कहा कि इन स्थलों पर हुए नुकसान का पूरा आकलन करने में कुछ समय लगेगा।

होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने से क्या होगा?

यदि ईरान वास्तव में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो इसका मतलब होगा कि वह रास्ते को नौवहन के लिए असुरक्षित बना देगा, जैसे कि समुद्र में माइन्स बिछाना या तेल टैंकरों पर मिसाइल हमले करना।

होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। इसकी चौड़ाई सबसे संकीर्ण बिंदु पर लगभग 21 मील है, जिसमें दो-दो मील की दो नौवहन लेन हैं।

विश्व भर के लगभग 20 प्रतिशत तेल का व्यापार इसी जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान इस रास्ते को बंद करता है तो तेल की कीमतों में 30-50 प्रतिशत तक उछाल आ सकता है और ईंधन की खुदरा कीमतों में पांच डॉलर प्रति गैलन तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

1980 के ईरान-इराक युद्ध के दौरान भी ईरान ने तेल टैंकरों और लोडिंग सुविधाओं को निशाना बनाया था। हालांकि, रास्ता पूरी तरह बंद नहीं हुआ था।

होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने से भारत पर भी असर

होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने का सीधा असर भारत पर भी पड़ेगा। भारत का 40 प्रतिशत कच्चा तेल इसी होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर आता है। होर्मुज जलडमरूमध्य से दुनिया के सबसे ज्यादा तेल टैंकर गुजरते हैं। भारत के लिए बढ़ने वाली चुनौती को ऐसे समझिए कि अगर दिल्ली से स्थल मार्ग से यूरोप जाना हो तो सबसे अच्छा रास्ता अफगानिस्तान और ईरान होकर निकलता है। वहीं, समुद्र से जो रास्ता बनता है, जो जमीन के साथ-साथ चले तो वह 
होर्मुज जलडमरूमध्य होकर गुजरता है।

होर्मुज जलडमरूमध्य जलमार्ग से कच्चा तेल या पेट्रोलियम उत्पादों के अंतरराष्ट्रीय कारोबार का करीब पांचवां हिस्सा गुजरता है। इसलिए बदले हालात ने कच्चे तेल के कारोबार पर बुरा असर पड़ने की आशंका काफी बढ़ा दी है। साफ है कि होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होता है तो दुनिया के कई देशों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा।

वैसे पिछले ही हफ्ते केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि फिलहाल भारत के लिए चिंता जैसी स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा था कि भारत के पास अभी पर्याप्त भंडार है। जरूरत पड़ने पर भारत फारस की खाड़ी के बाहर के स्रोतों और रास्तों से कच्चे तेल के आयात पर भी विचार कर सकता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि भारत के पास तीन हफ्ते से अधिक का स्टॉक है। इसके अलावा भारत का अपना उत्पादन और घरेलू सप्लाई भी है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास पाइपलाइन है। अगर स्थिति और बुरी हुई तो हम अपने घरेलू पेट्रोलियम प्रोडक्ट का निर्यात रोक देंगे।' 

(समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ)