ईरान और इजराइल के बीच नौवें दिन में प्रवेश कर चुके युद्ध ने अब खतरनाक मोड़ ले लिया है। इस युद्ध में अमेरिका की भी एंट्री हो चुकी है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिकी वायुसेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों- फोर्दो, नतांज और इस्फहान- पर बमबारी की है। ट्रंप ने इस हमले को ऐतिहासिक सैन्य सफलता करार दिया और दावा किया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया गया है।
ट्रंप ने Truth Social पर लिखा, “सभी विमान अब ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर हैं। फोर्दो के मुख्य परमाणु केंद्र पर पूरी बम वर्षा की गई। यह शांति की दिशा में एक निर्णायक क्षण है।” व्हाइट हाउस से मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और इजराइल ने मिलकर यह अभियान चलाया और इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को इसके लिए बधाई दी। ट्रंप ने कहा, “अगर ईरान अब भी शांति नहीं चाहता, तो आगे के हमले कहीं ज्यादा घातक और तेज होंगे।”
ट्रंप ने अपने संबोधन में चेतावनी दी, “ईरान या तो शांति का रास्ता चुनेगा, या ऐसी तबाही झेलेगा जैसी पिछले आठ दिनों में भी नहीं देखी गई।” उन्होंने इसे अमेरिका के सैन्य इतिहास में दशकों में सबसे बड़ा अभियान बताया और कहा कि ईरान को अब यह समझ लेना चाहिए कि उसकी गुंडागर्दी और परमाणु धमकियों का युग खत्म हो चुका है।
ट्रंप ने आगे कहा कि मैंने बहुत पहले ही तय कर लिया था कि मैं ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने दूंगा। ईरान सिर्फ इजराइल के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए भी खतरा है। ईरान पिछले 40 सालों से अमेरिका और इजराइल के खात्मे की बात करता रहा है।
अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से GBU-57A/B बंकर बस्टर बमों से हमले किए। बीबीसी के अनुसार, यह 13,600 किलोग्राम का बंकर बस्टर बम 61 मीटर तक जमीन या कंक्रीट में घुस सकता है। जिसमें 2,400 किलोग्राम विस्फोटक हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि ईरान को फोर्दो संयंत्र 80-110 मीटर गहराई में है जो GBU-57 की पहुंच से बाहर हो सकता है।
फोर्दो साइट पहले ही खाली करवा लिया गया थाः ईरान
इस बीच, ईरान की संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर गलीबाफ के सलाहकार महदी मोहम्मदी ने कहा कि अमेरिका के हमले की आशंका पहले से थी और फोर्दो साइट को पहले ही खाली करवा लिया गया था। उन्होंने कहा, "यह ठिकाना पहले से ही खाली था और हमले में कोई अपूरणीय क्षति नहीं हुई है। दो बातें तय हैं- ज्ञान को बम से खत्म नहीं किया जा सकता और इस बार जुआरी हारेगा।"
उधर, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के प्रमुख सलाहकार और कट्टरपंथी अखबार कायहान के संपादक होसैन शरीतमदारी ने अमेरिका पर सीधे हमले की वकालत की है। उन्होंने अमेरिका द्वारा फोर्दो परमाणु स्थल पर किए गए हमले के जवाब में मिसाइल हमले और रणनीतिक होरमुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने की अपील की है।
टेलीग्राम पर साझा एक संदेश में शरीतमदारी ने लिखा, "अमेरिका के फोर्दो परमाणु केंद्र पर हमले के बाद अब हमारी बारी है। बिना किसी हिचक या देरी के, सबसे पहले हमें बहरीन में स्थित अमेरिकी नौसैनिक बेड़े पर मिसाइल हमले करने चाहिए और साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस के जहाज़ों के लिए होरमुज़ जलडमरूमध्य को बंद कर देना चाहिए।" इस संदेश का समापन क़ुरान की एक आयत से किया गया: "उन्हें जहां भी पाओ, मार डालो।"
हूती विद्रोहियों की अमेरिका को चेतावनी
यमन के हूती विद्रोही समूह ने अमेरिका को सीधी चेतावनी दी है। संगठन के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य हेजाम अल-असद ने एक पोस्ट में कहा, “वॉशिंगटन को इसके परिणाम भुगतने होंगे।” गौरतलब है कि हूतियों और अमेरिका के बीच मई में एक संघर्षविराम समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों पक्ष एक-दूसरे को निशाना नहीं बनाएंगे। लेकिन अगर अमेरिका अब ईरान के खिलाफ सीधे युद्ध में उतरता है, तो रेड सी क्षेत्र में अमेरिकी जहाजों को भी खतरा बढ़ सकता है।
ट्रंप की घोषणा से पहले इजराइली रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने जानकारी दी थी कि इजराइल ने कुद्स फोर्स के फिलिस्तीन कॉर्प्स के प्रमुख सईद इजादी और वरिष्ठ अधिकारी बेहनाम शाह्रियारी को मार गिराया है। ये हमले ईरान के शहर क़ोम, खोर्रमाबाद और अहवाज में किए गए, जिनमें सैन्य ठिकानों और प्रशिक्षण केंद्रों को निशाना बनाया गया। ईरानी राज्य मीडिया के अनुसार, अब तक इन हमलों में 430 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 3,000 से अधिक घायल हुए हैं।
इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने पुष्टि की है कि इस्फहान स्थित सेंट्रीफ्यूज वर्कशॉप पर हमला हुआ था। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वहां कोई रेडियोधर्मी पदार्थ मौजूद नहीं था और इससे रेडियोलॉजिकल खतरे की कोई आशंका नहीं है। ग्रॉसी ने दोहराया कि IAEA के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि ईरान वर्तमान में परमाणु हथियार बना रहा है।
दूसरी ओर, ईरान की परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने एक बयान जारी कर कहा कि अमेरिकी हमलों के बावजूद उनका परमाणु कार्यक्रम नहीं रुकेगा। एजेंसी ने कहा कि हम अपने परमाणु उद्योग के विकास के रास्ते को किसी भी साजिश के आगे झुकने नहीं देंगे।