पुत्रजयाः थाईलैंड और कंबोडिया ने सीमा पर जारी तनाव को खत्म करने के लिए सोमवार को "तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम" पर सहमति जता दी है। यह समझौता मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की मध्यस्थता में कुआलालंपुर में हुई आपात बैठक के बाद हुआ। दोनों देशों के नेताओं ने शांति बहाली और क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, इस विशेष बैठक की अध्यक्षता स्वयं प्रधानमंत्री इब्राहिम ने की जिसमें कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट और थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायचाई शामिल हुए। संयुक्त प्रेस वक्तव्य के अनुसार, 28 जुलाई की मध्यरात्रि से युद्धविराम प्रभावी होगा। आगे सीमा विवाद सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई बैठकें तय की गई हैं।
सीमा विवाद को लेकर हाल ही में थाईलैंड के त्राट और कंबोडिया के पुरसत प्रांतों में झड़पें तेज हो गई थीं। दोनों देशों की 817 किलोमीटर लंबी सीमा पर दशकों से विवाद जारी है, जिसका मुख्य कारण यूनेस्को संरक्षित पुरातात्विक धरोहर प्रेह विहेयर मंदिर है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इसे कंबोडिया का हिस्सा बताया था, जिसे थाईलैंड ने पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। मई के अंत में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद यह तनाव और गहराया।
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बैठक के बाद तय हुआ कि 29 जुलाई को दोनों देशों के क्षेत्रीय सैन्य कमांडरों के बीच अनौपचारिक वार्ता होगी। इसके बाद, आसियान की अध्यक्षता में रक्षा अटैचेज़ की बैठक और 4 अगस्त को कंबोडिया में जनरल बॉर्डर कमेटी (GBC) की बैठक आयोजित की जाएगी।
मलेशिया, जो इस समय आसियान का अध्यक्ष है, ने युद्धविराम की निगरानी के लिए पर्यवेक्षक टीम भेजने की पेशकश की है। इसके लिए आसियान के अन्य सदस्य देशों से भी सहयोग मांगा जाएगा। दोनों पक्षों के प्रधानमंत्रियों, विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों के बीच सीधी बातचीत बहाल करने पर भी सहमति बनी है।
मलेशिया, कंबोडिया और थाईलैंड के विदेश और रक्षा मंत्रियों को युद्धविराम के कार्यान्वयन, निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए एक विस्तृत तंत्र तैयार करने का निर्देश दिया गया है। यह तंत्र लंबे समय तक शांति बनाए रखने की नींव बनेगा।
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इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने रविवार को थाई और कंबोडियाई विदेश मंत्रियों से बात की थी और तत्काल तनाव घटाने और युद्धविराम लागू करने की अपील की थी। यह बैठक अंतरराष्ट्रीय कानून, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और बहुपक्षीय सहयोग के सिद्धांतों को बनाए रखने की क्षेत्रीय प्रतिबद्धता को दोहराती है।