सुप्रीम कोर्ट ने अशोका के प्रोफेसर को जमानत शर्तों में नरमी दी, SIT को 4 हफ्ते में जांच पूरी करने का आदेश

अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को चार हफ्ते के अंदर जांच पूरी करने को कहा है।

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अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद Photograph: (bole bharat desk)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अशोका विश्वविद्यालय (Ashoka University) के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को बेल की शर्तों में राहत देते हुए कहा कि वह न्यायालय में विचाराधीन मामलों को छोड़कर अन्य विषयों पर राय और लेख लिख सकते हैं। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने विशेष जांच टीम (SIT) से चार हफ्तों के अंदर इस मामले में जांच पूरी करने को कहा है।

ऑपरेश सिंदूर के दौरान फेसबुक पर लिखी गई दो पोस्ट के आरोप में महमूदाबाद को हरियाणा पुलिस ने 18 मई को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 21 मई को महमूदाबाद को अंतरिम जमानत दे दी थी। उस समय अदालत ने हरियाणा सरकार से मामले में एसआईटी गठित करने को कहा था।

फेसबुक पोस्ट को लेकर की गई थी शिकायत

महमूदाबाद द्वारा लिखी गई फेसबुक पोस्ट के खिलाफ दो शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसमें एक शिकायत हरियाणा राज्य महिला आयोग द्वारा कराई गई थी। इन शिकायतों के आधार पर उनकी गिरफ्तारी हुई थी।

महमूदाबाद ने उस पोस्ट में सेना के संयम की प्रशंसा के साथ "युद्धोन्माद और दिखावटी देशभक्ति" के खिलाफ चेतावनी दी गई थी। इसको लेकर हरियाणा राज्य महिला आयोग ने आपत्ति जताई थी। महिला आयोग की प्रमुख रेणु भाटिया ने शिकायत की थी कि उन्होंने महिला अधिकारियों खासकर कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह का अपमान किया है।

ज्ञात हो कि ऑपरेशन सिंदूर लांच किए जाने के बाद सबसे पहली प्रेस ब्रीफिंग दोनों महिला अधिकारियों ने ही दी थी। इसके बाद और भी कई प्रेस ब्रीफिंग में दोनों अधिकारी शामिल रहीं। इस शिकायत के बाद महमूदाबाद के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। 

वहीं, महमूदाबाद के खिलाफ दूसरा मामला स्थानीय भाजपा नेता और जठेड़ी गांव के सरपंच योगेश ने राय पुलिस स्टेशन में कराई थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी से क्या कहा था?

आखिरी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को निर्देश दिया था कि वह अपनी जांच महमूदाबाद की फेसबुक पोस्ट तक ही सीमित रखें। महमूदाबाद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि एसआईटी एफआईआर से आगे भी जा सकती है। इस दौरान उन्होंने अदालत को बताया था कि एसआईटी ने प्रोफेसर से अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जमा करने को कहा है।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि एसआईटी को प्रोफेसर के फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए क्योंकि दो एफआईआर पहले ही दर्ज कराई गई हैं। 

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