नई दिल्लीः हरियाणा के राज्य महिला आयोग ने अशोका विश्वविद्यालय (Ashoka University) के प्रोफेसर को तलब किया है। प्रोफेसर ने 'ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)' की प्रेस ब्रीफिंग में शामिल महिला अधिकारियों पर टिप्पणी की थी। महिला आयोग ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। 

अली खान महमूदाबाद अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र विभाग में विभागाध्यक्ष (एचओडी) और एसोसिएट प्रोफेसर हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अली खान महमूदाबाद को जारी नोटिस में कहा गया कि उनकी टिप्पणी ने भारतीय सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों की गरिमा को कमतर आंका और सांप्रदायिक विवाद को बढ़ावा दिया। प्रोफेसर को बुधवार को आयोग के सामने तलब होने के लिए कहा गया। 

दरअसल महिला आयोग के पैनल ने प्रोफेसर महमूदाबाद द्वारा सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों को लेकर यह कदम उठाया है। प्रोफेसर ने ये टिप्पणी पाकिस्तान और पीओके में चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर की थी। 

नोटिस में आगे कहा गया है कि इन टिप्पणियों को आपत्तिजनक पाया गया है और इन्हें कारण बताओ नोटिस में संलग्न भी कर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर के बारे में कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने ऑपरेशन को लेकर कई मीडिया ब्रीफिंग्स में शामिल हुईं और पूरा विवरण दिया। 

प्रोफेसर ने सोशल मीडिया पर क्या लिखा? 

दरअसल, प्रोफेसर ने सोशल मीडिया पर लिखे पोस्ट में कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर पर महिला अधिकारियों द्वारा दी गई ब्रीफिंग "दिखावा" और "सिर्फ पाखंड" है। राज्य महिला आयोग ने प्रोफेसर की टिप्पणी को "राष्ट्रीय सैन्य कार्रवाइयों को बदनाम करने का प्रयास" बताया है। 

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, प्रोफेसर महमूदाबाद ने पोस्ट में लिखा था "मुझे बहुत सारे दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों को कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहना करते हुए देखकर बहुत खुशी हुई लेकिन शायद वे इतनी ही जोर से यह भी मांग कर सकते थे कि भीड़ द्वारा हत्या, मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने और भाजपा के नफरत फैलाने के शिकार अन्य लोगों को भारतीय नागरिकों के रूप में संरक्षित किया जाए।" 

हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने इस बाबत द प्रिंट से बात करते हुए कहा कि प्रोफेसर द्वारा की गई टिप्पणी पर स्वतः संज्ञान लेने के लिए हरियाणा राज्य महिला आयोग अधिनियम 2012 की धारा 10 (1) (एफ) और 10 (1) (ए) के तहत अपने अधिकार का प्रयोग किया। 

इस नोटिस में छह प्रमुख बातों पर चिंता व्यक्त की गई है। जिसमें विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी अन्य वर्दीधारी महिलाओं का अपमान, सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्रवाइयों की निंदा, सांप्रदायिक अशांति को भड़काने की संभावना, भारतीय न्याय संहिता और संविधान के तहत महिलाओं की गरिमा का उल्लंघन, संकाय के यूजीसी के नैतिक आचरणों का उल्लंघन और "नरसंहार" और "अमानवीयकरण" जैसे शब्दों के माध्यम से तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना है।

कौन हैं अली खान महमूदाबाद? 

प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद एक इतिहासकार हैं। इसके साथ ही राजनीति वैज्ञानिक और स्तंभ लेखक भी हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज से एम.फिल और पीएचडी की डिग्री हासिल की। वहीं, अमेरिका के मैसासुसेट्स स्थित एमहर्स्ट कॉलेज से इतिहास और राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया है। 

इसके अलावा दमिश्कस विश्वविद्यालय से महमूदाबाद ने अरबी की भी पढ़ाई की है।