नई दिल्लीः मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने राहुल गांधी को सीधे चुनौती देते हुए कहा कि वे 7 दिनों के भीतर अपने आरोपों का हलफनामा (एफिडेविट) दें, अन्यथा उन्हें देश से माफी मांगनी होगी। तीसरा कोई विकल्प नहीं है।
राहुल गांधी ने बिहार के सासाराम से अपनी 1,300 किलोमीटर लंबी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट का उदाहरण देते हुए दावा किया कि वहां एक लाख से अधिक वोटर फर्जी तरीके से दर्ज किए गए, जिनमें डुप्लिकेट नाम, झूठे पते और अमान्य फोटोग्राफ शामिल हैं।
ज्ञानेश कुमार ने इन आरोपों पर कड़ा जवाब देते हुए कहा कि भारत न केवल लोकतंत्र है बल्कि विश्व का सबसे बड़ा और सबसे जटिल लोकतांत्रिक तंत्र भी है। “ऐसे में यह कहना कि अगर किसी का नाम सूची में दो बार है तो उसने दो बार मतदान किया, हमारे करोड़ों मतदाताओं को अपराधी ठहराने जैसा है। यह अस्वीकार्य है।”
ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत के पास विश्व की सबसे बड़ी मतदाता सूची और सबसे बड़ी चुनावी मशीनरी है। ऐसे में यह कहना कि यदि किसी का नाम दो बार है तो उसने दो बार मतदान किया होगा, मतदाताओं को अपराधी बताने जैसा है। यह अस्वीकार्य है।
उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां वोटर लिस्ट बढ़ी, लेकिन समय रहते दावे और आपत्तियां क्यों नहीं दाखिल की गईं? चुनाव हुए आठ महीने बीत गए और अब सवाल उठाना केवल राजनीति है। अभी तक कोई ठोस सबूत महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को नहीं सौंपा गया।
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आखिरी घंटे में मतदान पर भी सवाल उठे थे, जिनका आयोग ने पहले ही जवाब दिया है। सच वही रहेगा, जैसे सूरज हमेशा पूरब से उगता है, किसी के बोलने से वह पश्चिम से नहीं उगेगा।
चोरी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना गलतः चुनाव आयोग
उन्होंने यह भी कहा कि आयोग 75 वर्षों से पूरी ईमानदारी के साथ काम कर रहा है। मतदाता सूची और मतदान प्रक्रिया पर चोरी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना गलत है। जनता सब समझती है और झूठ ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकता।
आयोग ने विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर कहा कि अगर किसी व्यक्ति का नाम दो जगह है, तब भी वह एक ही जगह वोट कर सकता है। दो जगह वोट करना कानूनी अपराध है और ऐसे दावे करने वालों को सबूत देना होगा।
चुनाव आयोग ने एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया पर भी सफाई दी। आयोग ने कहा कि दो दशकों से राजनीतिक दल मतदाता सूची में सुधार की मांग करते रहे हैं। इसी मांग को पूरा करने के लिए एसआईआर की शुरुआत बिहार से की गई है।
15 दिन बाकी, आयोग के दरवाजे सबके लिए खुले हैंः चुनाव आयोग
प्रक्रिया में सभी मतदाता, बीएलओ और राजनीतिक दलों के बीएलए मिलकर प्रारूप सूची बना रहे हैं। आयोग ने बताया कि बिहार में यह प्रक्रिया 1 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगी और सुधार के लिए अभी भी 15 दिन का बाकी है। आयोग के दरवाजे सबके लिए खुले हैं।
चुनाव आयोग ने चिंता जताई कि या तो नेताओं तक बीएलए की असली रिपोर्ट नहीं पहुंच रही या फिर उसे नजरअंदाज कर राजनीतिक भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है। आयोग ने कहा कि जमीनी स्तर पर वोटर्स और एजेंट्स वीडियो टेस्टिमोनियल तक दे रहे हैं, जो पारदर्शिता का प्रमाण है।
अंत में आयोग ने कहा कि 1 करोड़ से अधिक कर्मचारी, 10 लाख बीएलए और 20 लाख पोलिंग एजेंट्स चुनाव प्रक्रिया में लगे होते हैं। इतने बड़े और पारदर्शी तंत्र में वोट चोरी संभव ही नहीं। जब आयोग पर आरोप लगाकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाया जाता है, तो वह निडर होकर सभी गरीब, अमीर, महिला, पुरुष और युवा मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहेगा।
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