नई दिल्ली: बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान विपक्ष द्वारा 'वोट चोरी' के लगाए गए गंभीर आरोपों पर चुनाव आयोग ने रविवार को अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने इन आरोपों को संविधान का अपमान बताया और कहा कि चुनाव आयोग पर निशाना साधकर दरअसल मतदाताओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि "हम पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है।"

मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग के लिए न कोई पक्ष है और न ही कोई विपक्ष। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के लिए सभी पार्टियां बराबर हैं और आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा। 

वोटर लिस्ट प्रक्रिया पारदर्शी, 'वोट चोरी' संभव नहीं

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है, जिसमें एक करोड़ से अधिक कर्मचारी, 10 लाख से ज्यादा बूथ-लेवल एजेंट (बीएलए), और 20 लाख से अधिक उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट शामिल होते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के सामने क्या वोट चोरी करना संभव है?

उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि बिहार में गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के दौरान बूथ-लेवल अधिकारियों और जिला पार्टी अध्यक्षों द्वारा सत्यापित किए गए दस्तावेज और वीडियो साक्ष्य, राज्य और राष्ट्रीय नेताओं तक नहीं पहुँच रहे हैं, या उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, "जब बिहार के 7 करोड़ से अधिक मतदाता चुनाव आयोग के साथ खड़े हैं, तो न तो आयोग की विश्वसनीयता पर और न ही मतदाताओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा सकता है।"

'हम पर बंदूक रखकर मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही'

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिना किसी का नाम लिए मतदाताओं की तस्वीरों को उनकी अनुमति के बिना मीडिया में दिखाए जाने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि "हम पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों और धर्मों के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा।

आयोग ने कानूनी पहलुओं पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा अगर किसी को चुनाव परिणाम पर आपत्ति हो, तो 45 दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जा सकती है। लेकिन जब यह अवधि गुजर जाती है और कोई चुनौती नहीं दी जाती, तो बाद में बेबुनियाद आरोप लगाने का मकसद केवल राजनीति करना होता है।

गैर-भारतीय नागरिकों के मतदाता सूची में होने के आरोपों पर मुख्य चुनाव ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार केवल भारतीय नागरिक ही चुनाव लड़ सकते हैं। यदि ऐसे लोगों ने फॉर्म भरा है, तो SIR प्रक्रिया के दौरान जांच के बाद उनके नाम हटा दिए जाएंगे।

ज्ञानेश कुमार ने बताया कि पश्चिम बंगाल या अन्य राज्यों में एसआईआर प्रक्रिया कब होगी, इसका फैसला तीनों चुनाव आयुक्त मिलकर लेंगे।