वाशिंगटन: अमेरिका (यूएस) ने दो चीनी नागरिकों पर देश में एक जहरीले फंगस की तस्करी करने का आरोप लगाया है। फ्यूजेरियम ग्रैमिनियरम (Fusarium graminearum) नाम का यह फंगस गेहूं, जौ जैसी फसलों के खराब होने पर उसकी ऊपरी सतह पर बनता है और फसलों की उपज को काफी हद तक प्रभावित करता है। एफबीआई के निदेशक काश पटेल ने इसे 'कृषि-आतंकवाद एजेंट' कहा है जो उनके अनुसार 'हर साल दुनिया भर में अरबों डॉलर के आर्थिक नुकसान के लिए जिम्मेदार है।'
बहरहाल, अमेरिका में फंगस तस्करी के मामले में दो चीनी शोधकर्ताओं - जिआन युनकिंग (33) और लियू जुनयोंग (34) पर साजिश, देश में माल की तस्करी, झूठे बयान और वीजा धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार जियान ने कथित तौर पर मिशिगन विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में पौधे की तस्करी करने की कोशिश की, जहाँ वह काम करती है। वहीं, दूसरा शख्स उसका बॉयफ्रेंड लियू है जो चीनी विश्वविद्यालय में काम करता है। उसे 2024 में चीन भेज दिया गया था। उसने पहले तो जब्द नमूनों के बारे में कोई जानकारी नहीं होने का दावा किया लेकिन फिर बाद में कहा कि वह इसे मिशिगन विश्वविद्यालय की उसी प्रयोगशाला में शोध के लिए इस्तेमाल करने की योजना बना रहा था, जहाँ जियान काम कर रही थी। लियू ने बताया कि वह भी पहले मिशिगन के प्रयोगशाला में काम करता था।
क्या होता है फ्यूजेरियम ग्रैमिनियरम?
यह एक ऐसा फंगस है जो अनाजों के विकास को प्रभावित करता है, जिससे उपज कम हो जाती है। यह मक्का की फसलों में सड़न या उसके डंठल के सड़न का कारण भी बन सकता है। एक बार संक्रमित होने के बाद, यह फंगस फसल के पकने तक उसके साथ फैलता रहता है। यह छोटे अनाज के तने और जड़ों जैसे पौधों के ऊतक अवशेषों में जीवित रहने और नए पौधों को संक्रमित करने के लिए जाना जाता है।
यह दो तरह से कृषि आय को प्रभावित करता है। एक तो यह फसल की उपज को कम करता है, जिससे किसान को आर्थिक नुकसान होता है। दूसरा, यह फंगस माइकोटॉक्सिन का उत्पादन करने के लिए भी जाना जाता है। ऐसे में जो मनुष्य और जानवर इन संक्रमित फसलों का सेवन करते हैं, ये उन्हें भी नुकसान पहुंचाता है।
मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है ये फंगस?
यह मनुष्यों को सीधे संक्रमित नहीं करता है। हालांकि, यह फंगस माइकोटॉक्सिन उत्पन्न करता है। यह खास तत्व फंगस के विकास के लिए जरूरी होता है और यही मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकता है।
उदाहरण के लिए डीओक्सीनिवेलनॉल या डीओएन (deoxynivalenol) नाम का माइकोटॉक्सिन मनुष्यों और पशुओं में उल्टी का कारण बन सकता है। 1 पीपीएम से अधिक वॉमिटोक्सिन का स्तर मानव के इस्तेमाल के लिए ठीक नहीं है। ऐसे ही 5 पीपीएम से अधिक स्तर पशुधन के उपभोग के लिए अनुपयुक्त है। कुछ अन्य माइकोटॉक्सिन प्रतिरक्षा में कमी, गर्भपात या कैंसर के कारण भी बन सकते हैं।
क्या भारत में मिला है ये फंगस?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह भारत में गेहूं की फसल के लिए एक उभरता हुआ खतरा है। खासकर जलवायु परिवर्तन के कारण यह खतरा और बढ़ रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा 2021 में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि 2010-20 के दौरान हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु में किए गए व्यापक सर्वेक्षणों से पता चला है कि एफ. ग्रैमिनेरम के कारण गेहूं के दाने में हेड ब्लाइट या स्कैब की समस्या होती है। 2021 और 2022 के बीच रबी सीजन में किए गए एक फील्ड सर्वे में कर्नाटक के उत्तरी हिस्सों में हेड ब्लाइट की समस्या देखी गई। यह अध्ययन कर्नाटक में कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा किया गया था।
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