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तमिलनाडु में केंद्र के टंगस्टन खनन परियोजना का किसान क्यों कर रहे हैं विरोध?

मदुरैः तमिलनाडु में मदुरै जिले के मेलूर और आसपास के 40 गांवों के किसानों ने मंगलवार टंगस्टन परियोजना के विरोध में विशाल रैली निकाली। किसानों को डर है कि इससे उनकी आजीविका को नुकसान होगा। मंगलवार उन्होंने नरसिंघमपट्टी पेरुमल मंदिर से तल्लाकुलम प्रधान डाकघर तक रैली निकाली। समर्थन में सब्जी और आभूषण दुकान मालिकों सहित व्यापार संघों ने अपना कारोबार बंद कर दिया, जिससे मेलूर में सामान्य जीवन बाधित हो गया। किसानों ने अपनी मांगें पूरी होने तक विरोध जारी रखने की बात कही है।

टंगस्टन परियोजना के बारे में

टंगस्टन जो ऑटोमोबाइल, रक्षा उद्योग और हरित ऊर्जा तकनीकों में इस्तेमाल किया जाता है, इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में पाया जाता है। केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को 5,000 एकड़ में फैले आठ ब्लॉकों में टंगस्टन खनन का अधिकार दिया है। प्रस्तावित खनन क्षेत्र में एरिट्टापट्टी और नायक्करपट्टी जैसे गांव शामिल हैं, जो अपने ऐतिहासिक महत्व और जैवविविधता के लिए प्रसिद्ध हैं।

23 नवंबर को 20 से अधिक पंचायतों ने खनन परियोजना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र से इसे रद्द करने की मांग की और स्पष्ट किया कि राज्य इस परियोजना को स्वीकृति नहीं देगा। एरिट्टापट्टी, जिसे 2022 में तमिलनाडु की पहली जैवविविधता विरासत स्थल के रूप में मान्यता मिली, 250 से अधिक पक्षी प्रजातियों, 200 प्राकृतिक जल स्रोतों और प्राचीन ऐतिहासिक संरचनाओं का केंद्र है। यहां पांड्य साम्राज्य और जैन धर्म के ऐतिहासिक अवशेष भी हैं।

हालांकि केंद्र सरकार ने खनन क्षेत्र से जैवविविधता क्षेत्र को बाहर रखने के लिए पुन: सर्वेक्षण का आदेश दिया है, लेकिन स्थानीय लोग इसे परियोजना के जारी रहने की आशंका के रूप में देख रहे हैं। द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय पर्यावरणविद् के. सेल्वाराज और अन्य कार्यकर्ता खनन के संभावित प्रभावों के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। उनका कहना है कि यह संघर्ष केवल पर्यावरण और भूमि की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को बचाने की लड़ाई है। राज्य सरकार ने इस परियोजना के विरोध में प्रस्ताव पारित किया है, लेकिन स्थानीय समुदाय को शक है कि यह महज राजनीतिक रणनीति हो सकती है।

किसान टंगस्टन परियोजना के खिलाफ क्यों?

किसान नवंबर से ही इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि प्रस्तावित टंगस्टन खनन परियोजना उनके खेतों और जीवनशैली को सीधे प्रभावित कर सकती है। वे इस परियोजना से होने वाली संभावित पर्यावरणीय क्षति और विस्थापन को लेकर चिंतित हैं। उनका आरोप है कि यह परियोजना न केवल उनकी आजीविका को खतरे में डाल सकती है, बल्कि इससे आसपास के जैव विविधता और जलसंसाधन भी प्रभावित हो सकते हैं। किसानों और स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से इस परियोजना पर पुनर्विचार करने की मांग की है, ताकि उनके जीवन और पर्यावरण की सुरक्षा की जा सके।

किसानों के इस विरोध प्रदर्शन को स्थानीय व्यापारियों और समुदायों का भी समर्थन प्राप्त हुआ। सब्जी और आभूषण दुकानदारों सहित व्यापार संघों ने अपना कारोबार बंद कर दिया, जिससे मेलूर में सामान्य जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया। व्यापारियों का कहना था कि यह परियोजना न केवल उनके कारोबार को प्रभावित करेगी, बल्कि इसके सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव से सम्पूर्ण समुदाय को नुकसान होगा। विरोध में शामिल लोगों ने यह भी संकल्प लिया कि वे अपनी मांगों के पूरा होने तक इस आंदोलन को जारी रखेंगे। विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर, मदुरै में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया था। अधिकारियों ने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया था।

द्रमुक सरकार पर विपक्ष का निशाना

पुलिस ने टंगस्टन खनन परियोजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को मदुरै डाकघर की ओर मार्च करने से रोक दिया। इस मामले को लेकर एआईएडीएमके के महासचिव और विपक्ष के नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी ने द्रमुक सरकार पर निशाना साधा। पलानीस्वामी ने स्टालिन सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने लाखों लोगों की आवाज को दबाने के लिए पुलिस से अनुमति देने से इंकार कर दिया है। उन्होंने इसे “फासीवादी शासन” करार देते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने लोकतंत्र के अधिकारों को पूरी तरह से निगल लिया है और जनता के विरोध को दबाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रही है।

पलानीस्वामी ने कहा, “विरोध करना लोगों का मौलिक लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा है। द्रमुक सरकार ने टंगस्टन खनन परियोजना के विरोध को अवैध घोषित कर दिया है और जनता के अधिकारों को खारिज किया है।”

एएमएमके नेता टीटीवी दिनाकरन ने इस मुद्दे के शुरुआती दौर में इसे हल करने में तमिलनाडु सरकार की नाकामी पर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने सितंबर 2024 में केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए एक पत्र को नजरअंदाज किया, जिसमें टंगस्टन खनन परियोजना के बारे में जानकारी दी गई थी। दिनाकरन ने यह भी कहा कि जबकि क्षेत्र को जैव विविधता विरासत स्थल का दर्जा प्राप्त है, डीएमके सरकार इस संभावित परियोजना के बारे में अपनी अज्ञानता का बहाना नहीं बना सकती है।

अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...

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