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महंगाई और ग्रोथ पर नजर, जरूरत पड़ी तो फिर घट सकती हैं ब्याज दरें: RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिया है कि यदि महंगाई दर केंद्रीय बैंक के अनुमान से नीचे जाती है या आर्थिक वृद्धि दबाव में आती है, तो ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है।

मल्होत्रा ने मंगलवार को CNBC-TV18 को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “मौद्रिक नीति समिति हमेशा परिस्थिति, पूर्वानुमान और अर्थव्यवस्था की जरूरतों को ध्यान में रखकर फैसला करती है। यदि महंगाई अनुमान से नीचे जाती है या ग्रोथ कमजोर रहती है, तो नीतिगत दरें घट सकती हैं।” 

उन्होंने स्पष्ट किया कि भले ही मूल्य स्थिरता आरबीआई का मुख्य उद्देश्य है, लेकिन आर्थिक वृद्धि भी उतनी ही अहम है। उन्होंने कहा, “हम यह नहीं कह सकते कि महंगाई ग्रोथ से ज्यादा अहम है। दोनों का संतुलन ज़रूरी है, और फिलहाल हम किसी एक को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं।”

छह साल में सबसे कम महंगाई दर

मल्होत्रा का यह बयान जून महीने की खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों के एक दिन बाद आया है, जो पिछले छह वर्षों में सबसे निचले स्तर पर दर्ज की गई। खासतौर पर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट ने इस राहत में भूमिका निभाई। गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक आगे भी डेटा आधारित फैसलों पर निर्भर रहेगा और इस वर्ष महंगाई दर 3.7% के अनुमान से नीचे रह सकती है।

गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि भारत की 6.5% की विकास दर की भविष्यवाणी “हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप” है, हालांकि इसके संकेत मिश्रित हैं। उन्होंने कहा, “मानसून अनुकूल है, उपभोक्ता सर्वेक्षण में आशावाद दिख रहा है और व्यापार समझौते जारी हैं।”

इस वर्ष फरवरी से आरबीआई ने अब तक 100 बेसिस प्वाइंट तक रेपो रेट घटाया है, जिसमें हालिया मौद्रिक नीति बैठक में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती भी शामिल है। मल्होत्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि आरबीआई की नीति का उद्देश्य ओवरनाइट उधारी लागत को बेंचमार्क रेपो रेट (5.5%) से मेल कराना है, जिसके लिए तरलता प्रबंधन के जरिए जरूरत अनुसार नकदी डाली या हटाई जाती है।

बैंक स्वामित्व पर नए नियमों की तैयारी

आरबीआई अब बैंक स्वामित्व नियमों की समीक्षा कर रहा है, जिससे विदेशी बैंकों को भारतीय बैंकों में अधिक हिस्सेदारी रखने की अनुमति दी जा सकती है। फिलहाल, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को कुल मिलाकर 74% तक की हिस्सेदारी की अनुमति है, लेकिन एकल रणनीतिक विदेशी निवेशक की हिस्सेदारी 15% तक सीमित है।

मल्होत्रा ने बताया कि आरबीआई अब यह विचार कर रहा है कि क्या 26% तक हिस्सेदारी की सामान्य अनुमति दी जाए। इसके लिए निवेशकों की आवेदन प्रक्रिया और मंजूरी की व्यवस्था की जा रही है।हालांकि, जब उनसे यह पूछा गया कि क्या कॉरपोरेट समूहों को बैंक चलाने की अनुमति दी जाएगी, तो उन्होंने कहा कि उद्योग और बैंकिंग एक ही इकाई में होने से हितों का टकराव होता है।

गवर्नर ने यह भी बताया कि आरबीआई की एक आंतरिक समिति ने मौजूदा तरलता प्रबंधन ढांचे की समीक्षा की है और इस पर रिपोर्ट महीने के अंत तक जारी की जाएगी।

अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...

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