पाकिस्तान ने अपने यहां रह रहे अफगान नागरिकों को 31 मार्च तक देश छोड़ने को कहा है। खासकर ऐसे लोग जिनके पास अफगान नागरिक कार्ड (एसीसी) हैं, उन्हें भी पाकिस्तान छोड़ने को कहा गया है। इस तरह पाकिस्तान में रहने वाले अफगानों के लिए समय अब तेजी से बीत रहा है। पाकिस्तान ने वैसे एक सौम्य छवि पेश करने की कोशिश में अफगानों को स्वेच्छा से देश छोड़ने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है।

अनौपचारिक अनुमानों के अनुसार कम से कम 30 लाख अफगान अभी भी पाकिस्तान में रहते हैं। इनमें से कम से कम 20 लाख खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में रहते हैं, जो अफगानिस्तान की सीमा से लगता है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान से अपने नागरिकों के इस तरह जबरन निर्वासन पर चिंता जताई है। उसने यह भी आरोप लगाया था कि अधिकारियों द्वारा अफगान नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार किया गया।

भारत को सावधान रहने की जरूरत

भारत के लिए इसका न केवल नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, बल्कि संभव है कि अफगानिस्तान सरकार से संपर्क करने का एक अवसर बन सकता है। बड़े पैमाने पर यह निर्वासन ऐसे समय में हो रहा है जब अफगानिस्तान में तालिबान सरकार पहले से ही कई समस्याओं से जूझ रही है। चूंकि यह समय गर्मियों का मौसम शुरू होने का भी है, इसलिए भारत को जम्मू और कश्मीर में सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत होगी। इस क्षेत्र पर नज़र रखने वालों के अनुसार कुछ अफगान नागरिकों को पाकिस्तान द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ के लिए भर्ती किया जा सकता है। 

हाल के दिनों में खैबर पख्तूनख्वा में एक घटना दर्ज हुई, जो संभवत: पहली बार थी। पाकिस्तानी सेना ने रविवार को कुर्रम जिले में एक हमले में तीन सैनिकों के मारे जाने के बाद कई घरों को जला दिया। कुर्रम के बड़े क्षेत्र पाकिस्तान के नियंत्रण से फिसल रहे हैं क्योंकि टीटीपी कैडरों ने भीतरी इलाकों में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है। यहां तक ​​​​कि मुख्य सड़कों और राजमार्गों पर भी ऐसी स्थिति बनती जा रही है।

टीटीपी के खिलाफ पाकिस्तान की तालिबान से शिकायत

पाकिस्तान सरकार ने तालिबान सरकार से टीटीपी कैडरों के खिलाफ कार्रवाई करने की बार-बार अपील की है। उसने अफगान सरकार पर टीटीपी के लोगों को समर्थन देने और उन्हें अपने क्षेत्रों में बेरोकटोक प्रवेश देने का आरोप लगाया है। साथ ही यह पहली बार है कि पाकिस्तान ने कुछ दिनों पहले बन्नू छावनी पर हुए हमले में अफगान नागरिकों की मिलीभगत का आरोप लगाया है। 

पिछले कुछ महीनों से मुख्यधारा के मीडिया में ऐसी खबरें आ रही थीं कि पाकिस्तान सभी अफगानों को देश से बाहर निकालने की योजना बना रहा है। इसका कारण यह बताया गया था कि यह अफगान सरकार के लिए दबाव का काम कर सकता है। खासकर ऐसी परिस्थिति में जब तहरीक तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सशस्त्र कैडर बार-बार पाकिस्तान के सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं। पाकिस्तान सरकार कहती रही है कि सेना और पुलिस पर हमला करने के बाद टीटीपी कैडर पास के अफगानिस्तानी इलाकों में भाग जाते हैं।

ऐसा माना जा रहा था कि सभी अफगानों को बाहर निकालने के प्रयास से तालिबान सरकार पर टीटीपी की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए महत्वपूर्ण दबाव बनाया जा सकता है। 

हालांकि, द हेराल्ड ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, अफ़गानिस्तान सरकार ने टीटीपी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए बहुत कम काम किया है। अफगान सरकार पाकिस्तान को आधिकारिक तौर पर यही कहती रही है कि उसकी धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं किया जा रहा है। 

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय का बयान

कई चेतावनियों को जारी करने और अलग-अलग हथकंडे अपनाने के बाद, पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने अब अफगान नागरिकों को बाहर निकाले जाने के प्रयासों की खबर की आधिकारिक पुष्टि कर दी है। गृह मंत्रालय के आधिकारिक बयान में लिखा है, 'अवैध विदेशी प्रत्यावर्तन कार्यक्रम (IFRP) 1 नवंबर, 2023 से लागू किया जा रहा है। सभी अवैध विदेशियों को वापस भेजने के सरकार के फैसले को जारी रखते हुए राष्ट्रीय नेतृत्व ने अब अफगान नागरिक कार्ड धारकों को भी वापस भेजने का फैसला किया है।'

बयान में आगे कहा गया है, 'सभी अवैध विदेशियों और एसीसी धारकों को 31 मार्च, 2025 से पहले स्वेच्छा से देश छोड़ने की सलाह दी जाती है। इसके बाद, 1 अप्रैल, 2025 से निर्वासन शुरू हो जाएगा।' 

गृह मंत्रालय ने कहा कि उनकी सम्मानजनक वापसी के लिए पहले ही पर्याप्त समय दिया जा चुका है। मंत्रालय ने कहा, 'इस बात पर जोर दिया जाता है कि प्रत्यावर्तन प्रक्रिया के दौरान किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया जाएगा और लौटने वाले विदेशियों के लिए भोजन और स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था भी की गई है। पाकिस्तान एक उदार मेजबान रहा है और एक जिम्मेदार राज्य के रूप में अपनी प्रतिबद्धताओं और दायित्वों को पूरा करना जारी रखे हुए है। यह हम फिर से दोहराते हैं कि पाकिस्तान में रहने वाले व्यक्तियों को सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा और पाकिस्तान के संविधान का पालन करना होगा।' 

नवंबर 2023 से अफगानों को भेजने की कवायद

नवंबर 2023 में पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए अभियान के बाद से पाकिस्तान में अवैध रूप से रह रहे 80,0000 से अधिक अफगानों को उनके देश में वापस भेजा गया है। हालाँकि, पाकिस्तान ने उन लोगों को छोड़ दिया था जो UNHCR के साथ पंजीकृत थे और जिनके पास ACC कार्ड थे।

पाकिस्तान ने अब अफगान तालिबान सरकार से देश में ऐसा माहौल बनाने को कहा है जिससे उनके देशवासियों की सम्मानजनक वापसी को बढ़ावा मिले। इस कदम से दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध और भी तनावपूर्ण हो जाएंगे। 

पाकिस्तान ने देश में आतंकवादी हमलों में वृद्धि के लिए अफगानिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। कुछ आतंकवादी हमलों के लिए अफगान नागरिकों को भी जिम्मेदार ठहराया है। पाकिस्तान ने बन्नू छावनी पर हाल ही में हुए हमले के पीछे कुछ अफगान नागरिकों को जिम्मेदार ठहराया था। 

पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर पर तनाव

इस साल तोरखम सीमा पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सेनाओं के बीच कई बार गोलीबारी हुई है। हालात ऐसे रहे कि बॉर्डर दो सप्ताह तक बंद रहा। सूत्रों के अनुसार इस प्रमुख सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण है, जिसे अफगान तालिबान द्वारा एक नई चेक पोस्ट के निर्माण पर विवाद के कारण 21 फरवरी को बंद कर दिया गया था।

पाकिस्तान ने सीमा बंद होने को लेकर अफगान पक्ष को दोषी ठहराया। पाकिस्तान विदेश कार्यालय (FO) के प्रवक्ता के अनुसार, 'पिछले कुछ दिनों से अफगान पक्ष ने पाकिस्तानी सीमा के पास दो बिंदुओं पर पाकिस्तानी क्षेत्र में अवैध और एकतरफा निर्माण गतिविधि को अंजाम दिया है।'

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