यह कहानी 25 साल पुरानी है। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की रजत जयंती 1 नवंबर को मनाई गई। रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में रात 12 बजे जबलपुर उच्च न्यायालय से आए जज आरएस गर्ग ने नवगठित राज्य के पहले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्होंने बिहार के पूर्व डीजीपी और नीतीश कुमार की समता पार्टी के उपाध्यक्ष दिनेश नंदन सहाय को राज्यपाल की शपथ दिलाई। इसके बाद नव नियुक्त राज्यपाल ने कांग्रेस नेता अजीत जोगी को छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। जोगी, जो भिलाई रोड स्थित पिकाडिली होटल में ठहरे थे, सुबह जल्दीबाजी में वही कुर्ता पहनकर निकले थे जो उन्होंने कांग्रेस नेताओं गुलाम नबी आजाद, दिग्विजय सिंह और प्रभा राव से मिलने के लिए पहना था और उसी में सीधे शपथ ग्रहण समारोह में पहुंच गए।
उनकी पत्नी रेणु जोगी जब ग्राउंड पर पहुंचीं तो सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें बीस मिनट तक रोक लिया क्योंकि उनके पास प्रवेश पत्र नहीं था। बाद में जब मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री गीता देवी सिंह पहुंचीं, तो वे उन्हें अपने साथ भीतर ले गईं।
उधर, मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जब महासमुंद रोड पर वरिष्ठ नेता विद्या चरण शुक्ल के फार्म हाउस पर पहुंचे, तो नाराज कार्यकर्ताओं ने धक्का मुक्की कर दी और उनका कुर्ता भी फाड़ दिया। लोग इसलिए नाराज थे कि सिंह ने पर्यवेक्षक होकर भी मुख्यमंत्री के लिए शुक्ल जी का नाम प्रस्तावित नहीं किया था।
भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन महामंत्री और राज्य प्रभारी नरेंद्र मोदी ने रायपुर के पार्टी कार्यालय में विधायकों की बैठक ली। रायगढ़ के आदिवासी नेता नंदकुमार साय को विपक्ष का नेता घोषित किया गया। रायपुर के विधायक बृजमोहन अग्रवाल, जो मध्य प्रदेश में मंत्री भी थे, विपक्ष के नेता की दौड़ में थे। उनके समर्थक नाराज होकर जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में उनके कमरे पर चढ़ गए। नरेंद्र मोदी को चौकी के नीचे छिपना पड़ा और इनका ही कुर्ता फाड़ दिया गया। बाद में पुलिस ने पहुंचकर उन्हें बचाया। इसके बाद पार्टी ने बृजमोहन, जिलाध्यक्ष छगनलाल मुंद्रा और अन्य को निलंबित कर दिया। हालांकि राष्ट्रीय अनुशासन समिति के अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे के सुझाव पर 2003 के चुनाव से पहले उन्हें वापस ले लिया गया।

छत्तीसगढ़ विधानसभा की पहली बैठक राजकुमार कॉलेज के कैंपस में एक शामियाने के नीचे हुई। मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने अपने पहले भाषण में कहा, “मैं सपनों का सौदागर हूं, सपने बेचता हूं। छत्तीसगढ़ की अमीर धरती पर अब कोई गरीब नहीं रहेगा। मैं गुरिल्ला रेलवे स्टेशन के कुली समरू को अपना आदर्श मानता हूं। जब उसका विकास होगा, तभी छत्तीसगढ़ का विकास होगा।” विधानसभा के पहले अध्यक्ष के रूप में राजेंद्र प्रसाद शुक्ल को चुना गया।
शुरुआत में सचिवालय एक अस्पताल में बना, अधीक्षक का कमरा मुख्यमंत्री का कार्यालय बना, सर्किट हाउस को राजभवन में बदला गया और डीएम आवास को मुख्यमंत्री निवास घोषित किया गया। मंत्रियों और अधिकारियों के लिए टैक्सियां किराए पर ली गईं।
25 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने उल्लेखनीय तरक्की की है। 2000 में जहां 16 जिले थे, अब 33 हैं। दिल्ली के बाहर पहला अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर में बना। जो अधिकारी पहले यहां आने से डरते थे, अब खुद यहां पदस्थापना की इच्छा रखते हैं। राज्य में देश का पहला निजी विश्वविद्यालय स्थापित हुआ, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के लिए तीन वर्षीय चिकित्सा पाठ्यक्रम शुरू हुआ और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए ‘मितानिन’ मॉडल यहीं से शुरू हुआ।
छत्तीसगढ़ ने 25 वर्षों में विकास किया है, और उसी अनुपात में भ्रष्टाचार भी बढ़ा है।

