Thursday, November 13, 2025
Homeविचार-विमर्शखेती बाड़ी-कलम स्याही: किशनगंज में पतंग, लालटेन, हाथ के बीच कहां गुम...

खेती बाड़ी-कलम स्याही: किशनगंज में पतंग, लालटेन, हाथ के बीच कहां गुम है तीर और कमल!

किशनगंज में पतंग, लालटेन, हाथ के बीच कहां गुम है तीर और कमल के सवाल का जब जबाव ढूंढने निकला तो पता चला चारों विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतों के बिखराव से ही मोदी या कहिए एनडीए को संजीवनी मिल सकती है।

किशनगंज में एक मैदान है -रूईधासा मैदान। उसी के बगल से गुजर रहा था। चुनावी मौसम में इस मैदान का अलग ही महत्व होता है! खासकर रैलियों के वास्ते! इस जिले में चार विधानसभा सीट हैं, किशनगंज, कोचाधामन, बहादुरगंज और ठाकुरगंज।

यह इलाका राजनीति के शब्दावली में हाथ , लालटेन और पतंग से सजा हुआ है! ऐसे में आप पूछ ही सकते हैं कि तीर और कमल कहां है?

किशनगंज के अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों में, जहां नेताओं की सभा होती है, उसके आस-पास चाऊमीन, चाट-समोसा और नारियल की बिक्री बढ़ी हुई है। मेला की तरह गाँव घर से लोग पहुंचे हैं। यह हाल प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र का है! अखिर चुनाव तो एक पर्व ही है हम सबके लिए!

मुस्लिम बहुल इस इलाके में लोगबाग खुलकर चुनावी बतकही कर रहे हैं। आप कहीं निकल जाइए, बड़ी संख्या में लोग दिखेंगे, जो अपने प्रत्याशियों को लेकर बातचीत कर रहे हैं। कोचाधामन इलाके में असफाक भाई के हाथ में ढोल है और वे थाप ठोक रहे हैं।

यहां तस्लीम भाई मिलते हैं और कहते हैं कि ओवैसी फेक्टर यहां है, हम बाहरी को जगह देंगे क्योंकि वह हमारी बात कर रहा है!

ओवैसी को लेकर कुछ लोग गुस्से में भी दिखे। कोई उन्हें वोट कटवा कह रहा है तो कोई बाहरी। इन सबके बावजूद लोगबाग उनकी चर्चा कर रहे हैं ।

हैदराबाद से सीमांचल की कहानी शुरू में रोमांचक लग रही थी लेकिन अब कुछ कुछ अलग दिखने लगा है। शायद यही राजनीति है।

किशनगंज में एक ईरानी बस्ती है। पता नहीं अब किस रंग- रूप में है! 2012 में गया था वहां। उस वक्त बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए एक रपट तैयार की थी बस्ती की।

उधर, शहर और आसपास पुलिस प्रशासन चुस्त है! सुभाष पल्ली चौक पर नारायण दा मिले। उनका मानना है कि इस दफे चुनाव टाइट है लेकिन कम बेसी मोदी निकाल लेगा चुनाव!

लालू की बात यहां कोई नहीं कर रहा है। प्रशांत किशोर- ओवैसी की जरूर बात कर रहा है! कांग्रेस ने किशनगंज सीट पर अपने सिटिंग विधायक का टिकट काट कर कमरूल हुदा को हाथ थमाया है। भाजपा ने स्वीटी सिंह को टिकट दिया है। वहीं जन सुराज ने ओवैसी के किसी बागी नेता को टिकट दिया है!

किशनगंज- अररिया जिले में मुस्लिम कई पॉकेट में बंटे हैं, मसलन सुरजापुरी, शेरशाहबादी, कुल्हैया आदि। इन बातों को सुनकर लगा कि राजनीति किस तरह हमें तोड़ती जा रही है और हम आसानी से टूटते जा रहे हैं।

किशनगंज में पतंग, लालटेन, हाथ के बीच कहां गुम है तीर और कमल के सवाल का जब जबाव ढूंढने निकला तो पता चला चारों विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतों के बिखराव से ही मोदी या कहिए एनडीए को संजीवनी मिल सकती है।

इस इलाके में 1995 के बाद भाजपा को निराशा ही मिली है। कांग्रेस, राजद व जदयू के अलावा एआईएमआईएम पहले चारों विधानसभा क्षेत्रों में जीत का स्वाद चख चुका है। इस बार के चुनाव में भी महागठबंधन, एआईएमआईएम, जन सुराज पार्टी और आम आदमी पार्टी (आप) ने भी मुस्लिम उम्मीदवार पर ही दांव खेला है।

यहां से राजद, एआईएमआईएम समेत अन्य दलों ने भी मुस्लिम समुदाय पर ही दांव खेला है। कोचाधामन सीट से भाजपा ने वीणा देवी पर भरोसा जताया है। बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से भी नौ प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें सात मुसलमान हैं। यहां कांग्रेस, एआईएमआईएम ही नहीं, बल्कि एनडीए की ओर से लोजपा-रामविलास के खाते में गई इस सीट से मुसलमान प्रत्याशी को मैदान में उतारा गया है। प्रशांत किशोर की पार्टी ने यहां भाजपा से बागी हुए वरुण कुमार सिंह को टिकट दिया है।

ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र से 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें से छह मुस्लिम समुदाय से हैं। यहां राजद, एआईएमआईएम, जन सुराज समेत अन्य दलों के अलावा निर्दलीय भी मुस्लिम समुदाय से हैं। जदयू ने यहां से गोपाल कुमार अग्रवाल पर भरोसा जताया है। यहां के सभी विधानसभा क्षेत्रों को मुस्लिम बहुल माना जाता है।

इन जगहों पर मुसलमानों की जनसंख्या 60 से 69 प्रतिशत तक है। एनडीए ने यहां से तीन हिंदू व एक मुस्लिम उम्मीदवार पर दांव खेला है। महाठगबंधन व एआईएमआईएम ने चारों सीटों से मुस्लिम प्रत्याशी को उतारा है। जन सुराज ने भी तीन सीटों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही टिकट दिया है। इस कारण मुस्लिम मतों में बिखराव की आशंका बनी हुई है।

यदि किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के सभी चार विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो कुल 35 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। उनमें 25 मुसलमान हैं। सभी के अपने गणित व जीत के दावे हैं।

किशनगंज सदर विधानसभा क्षेत्र में 10 प्रत्याशी हैं। उनमें से आठ मुसलमान हैं, जो कांग्रेस, एआईएमआईएम, जन सुराज समेत निर्दलीय भी हैं। भाजपा ने यहां से पांचवी बार स्वीटी सिंह को मैदान में उतारा है। इसी प्रकार कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र से छह उम्मीदवारों में चार मुस्लिम समुदाय से हैं।

यदि ओवैसी की बात करें तो सीमांचल की 24 में से 14 सीटों पर उनकी पार्टी एआईएमआईएम ने उम्मीदवार उतारे हैं। पिछले चुनाव में एआईएमआईएम ने 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 5 सीटों पर जीत का स्वाद चखा था। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को बिहार में कुल 1.24 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन सीमांचल के मुस्लिम वोटरों में उनकी पकड़ मजबूत रही।

करीब 11 फीसदी मुसलमानों ने एआईएमआईएम को वोट दिया था। सीमांचल के चार जिले किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार बिहार के मुस्लिम बहुल इलाके हैं, जहां सियासी दलों की नजरें टिकी हुई हैं। ये सभी 24 विधानसभा सीट एक केक की तरह है, जिसे काटकर सरकार बनाने की जुगत में हर पार्टी है। केक कौन काटता है यह तो वक्त ही बताएगा।

गिरीन्द्र नाथ झा
गिरीन्द्र नाथ झा
गिरीन्द्र नाथ झा ने पत्रकारिता की पढ़ाई वाईएमसीए, दिल्ली से की. उसके पहले वे दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक कर चुके थे. आप CSDS के फेलोशिप प्रोग्राम के हिस्सा रह चुके हैं. पत्रकारिता के बाद करीब एक दशक तक विभिन्न टेलीविजन चैनलों और अखबारों में काम किया. पूर्णकालिक लेखन और जड़ों की ओर लौटने की जिद उनको वापस उनके गांव चनका ले आयी. वहां रह कर खेतीबाड़ी के साथ लेखन भी करते हैं. राजकमल प्रकाशन से उनकी लघु प्रेम कथाओं की किताब भी आ चुकी है.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

प्रताप दीक्षित on कहानीः प्रायिकता का नियम
डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र
मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा