नई दिल्लीः विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को संसद की स्थायी समिति को बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष पूरी तरह पारंपरिक दायरे में रहा और पाकिस्तान की ओर से किसी प्रकार का परमाणु संकेत नहीं दिया गया। विदेश सचिव ने यह स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय पूरी तरह द्विपक्षीय स्तर पर हुआ था।

उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने निर्णायक जवाब दिया और पाकिस्तान व उसके कब्जे वाले क्षेत्रों में आतंकियों के ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया गया। विदेश सचिव ने बताया कि हालिया सैन्य टकराव पारंपरिक दायरे में रहा और पाकिस्तान की ओर से कोई परमाणु संकेत नहीं मिला। 

बैठक में विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर सवाल उठाया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी प्रशासन ने भारत-पाक संघर्ष को रोकने में भूमिका निभाई। इस पर मिसरी ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति ने मुझसे अनुमति नहीं ली थी जिससे समिति में हल्की मुस्कान फैल गई।

एक सदस्य ने पूछ कि भारत सरकार ने ट्रंप के बयानों पर सार्वजनिक रूप से तीखी प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी। इसके जवाब में विदेश सचिव ने कहा कि भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि संघर्षविराम पूरी तरह द्विपक्षीय बातचीत से तय हुआ था, और यह निर्णय 10 मई को भारत-पाकिस्तान के डीजीएमओ (सेना संचालन महानिदेशक) स्तर की बातचीत के माध्यम से हुआ।

पाकिस्तान की ओर से चीनी सैन्य प्लेटफॉर्म के उपयोग को लेकर पूछे गए सवाल पर विदेश सचिव ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि भारत ने पाकिस्तानी वायु ठिकानों को सटीक रूप से निशाना बनाया। उन्होंने समिति को आश्वस्त किया कि भारत किसी भी उकसावे का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन साथ ही वह स्थायी शांति के लिए भी प्रतिबद्ध है। तुर्की के भारत-विरोधी रुख को लेकर पूछे गए सवाल पर मिसरी ने कहा कि यह देश परंपरागत रूप से भारत का समर्थक नहीं रहा है।

शशि थरूर ने की बैठक की अध्यक्षता

इस अहम बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने की। बैठक में अभिषेक बनर्जी (TMC), राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा (कांग्रेस), असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM), अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल (भाजपा) जैसे प्रमुख सांसद शामिल हुए। विदेश सचिव विक्रम मिसरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की सभी दलों ने सर्वसम्मति से निंदा की और उनके पेशेवर आचरण की सराहना की।

22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी। इसके जवाब में भारत ने 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया। इस सैन्य कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक भारी तनाव रहा, जो 10 मई को सीजफायर की आपसी सहमति के साथ थमा। 

वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिश

भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पृष्ठभूमि में आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के लिए 33 देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है। यह पहल अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश देने के उद्देश्य से की जा रही है कि भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा।