चेन्नईः तमिलनाडु में एनईपी को लेकर शुरू हुआ भाषा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में अभिनेता और राजनेता कमल हासन की एंट्री हो गई है। उन्होंने तमिल लोगों के बीच भाषाई गौरव पर जोर दिया और लोगों को चुनौती भी दी जो भाषाई मुद्दों को हल्के में लेते हैं। 

इस मुद्दे पर बोलते हुए हासन ने राज्य के ऐतिहासिक भाषाई संघर्ष की तरफ भी ध्यान खींचा। कमल हासन अपनी पार्टी मक्कल निधि मय्यम के आठ वर्ष पूरे होने पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।

तमिल लोगों ने गंवाई है जान

उन्होंने कहा " तमिल लोगों ने भाषा के लिए अपनी जान गंवाई है। ऐसी चीजों के साथ मत खेलो। तमिल लोग यहां तक कि बच्चे भी जानते हैं कि उन्हें किस भाषा की जरूरत है। उन्हें इस बात का भी ध्यान है कि उन्हें कौन सी भाषा चुननी है। "

कमल हासन का यह बयान तब आया है कि जब राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की 'राजनीति से ऊपर उठने' की अपील को चेतावनी दी है।  

एमके स्टालिन ने पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा है जिसमें यह लिखा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 किसी भी भाषा को अनिवार्य नहीं करती है। 

स्टालिन पर भी साधा निशाना

इस मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री स्टालिन पर भी निशाना साधा। इस विवाद के बीच राज्य बीजेपी प्रमुख के. अन्नामलाई ने तीन भाषाओं की नीति का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि तीसरी भाषा सीखने से तमिलनाडु के लिए फायदेमंद होगी।

उन्होंने डीएमके और इसके सहयोगियों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ये लोग गुमराह कर रहे हैं कि नई शिक्षा नीति के तहत हिंदी अनिवार्य होगी। 

वहीं, राज्य के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि ने कहा है कि हिंदी तमिल को नष्ट कर देगी जैसे कई उत्तर राज्य की भाषाओं को किया है।