केंद्र की तीन-भाषा नीति बनाम तमिलनाडु की द्विभाषा नीति विवाद और गहरा गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की 'राजनीति से ऊपर उठने' की अपील पर चेतावनी दी है। उन्होंने राज्य की द्विभाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि केंद्र मधुमक्खी के छत्ते में पत्थर न फेंके।
धर्मेंद्र प्रधान ने यह टिप्पणी तब की जब स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) से दो केंद्रीय योजनाओं को जोड़ने का विरोध किया था। पत्र में स्टालिन ने धर्मेंद्र प्रधान के उस बयान का जिक्र किया था जिसमें तीन भाषा नीति लागू नहीं किए जाने पर तमिलनाडु के 'सामगरा शियाशा' फंड पर रोक लगाने की बात कही थी।
स्टालिन बना धर्मेंद्र प्रधान
स्टालिन के पत्र के बाद शुक्रवार को धर्मेंद्र प्रधान ने डीएमके सरकार से 'भाषा विवाद से ऊपर उठने' और नई शिक्षा नीति के लाभों को अपनाने की अपील की। धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु सरकार पर शिक्षा नीति को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया और कहा कि एनईपी किसी भी भाषा को थोपने की वकालत नहीं करती।
तमिलनाडु की सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार ने अब तक नई शिक्षा नीति और तीन-भाषा नीति को लागू करने से इनकार किया है। इस नीति के तहत हिंदी को आवश्यक बनाया गया है, जिसे डीएमके "भाषा थोपने" की कोशिश करार दे रही है। पार्टी ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह नीति के क्रियान्वयन के लिए राज्य के फंड को रोके हुए है।
धर्मेंद्र प्रधान ने डीएमके के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि नीति किसी भी भाषा को थोपने की वकालत नहीं करती है। इसपर स्टालिन ने प्रधान पर शिक्षा में राजनीति करने का आरोप लगाया।
அரசியல் காரணங்களுக்காக குறுகிய பார்வையுடனும், அச்சுறுத்தலை பயன்படுத்தியும் தேசிய கல்விக் கொள்கை 2020-ஐ ஒரு மாநிலம் ஆய்வு செய்வது மிகவும் பொருத்தமற்றது.
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) February 21, 2025
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सीएम स्टालिन ने पूछा, "क्या यह राजनीति नहीं है कि धन जारी करने को तीन-भाषा नीति स्वीकारने की शर्त से जोड़ा जा रहा है? क्या नई शिक्षा नीति के नाम पर हिंदी थोपना राजनीति नहीं है? क्या बहुभाषी भारत को एक-भाषी और एक-रूप बनाने की कोशिश राजनीति नहीं है? क्या योजनाओं के लिए आवंटित फंड को किसी और नीति के कार्यान्वयन की शर्त बना देना राजनीति नहीं है?"
स्टालिन ने आगे केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा- "मैं केंद्र सरकार को सचेत करता हूं- मधुमक्खी के छत्ते में पत्थर न फेंके। तमिलों की अद्वितीय जुझारू भावना को देखने की भूल न करें। जब तक मैं और डीएमके सत्ता में हैं, तमिल, तमिलनाडु और यहां के लोगों के खिलाफ कोई भी गतिविधि यहां पैर नहीं जमा सकती।"
तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने भी इस विवाद में हस्तक्षेप करते हुए साफ किया कि राज्य तमिल और अंग्रेजी आधारित द्विभाषी नीति पर कायम रहेगा। उन्होंने केंद्र से अपने हक का फंड देने की मांग दोहराई है।
कमल हासन ने भी केंद्र को दी चेतावनी
तीन-भाषा नीति (ट्राई-लैंग्वेज पॉलिसी) को लेकर जारी विवाद के बीच मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) प्रमुख और अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने भी केंद्र सरकार को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, "तमिल हमारी सांस्कृतिक पहचान है, इसके लिए लोगों ने जान तक गंवाई है। इस भाषा के साथ खिलवाड़ न करें।"
पार्टी के 8वें स्थापना दिवस पर चेन्नई में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए हासन ने कहा कि भाषा से जुड़े मुद्दों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, "तमिलनाडु के बच्चे भी यह भली-भांति समझते हैं कि उन्हें कौन-सी भाषा सीखनी है। उन्हें अपनी भाषा चुनने की पूरी समझ है।"
'Get Out Stalin' बनाम 'Get Out Modi' अभियान
इस राजनीतिक टकराव के बीच तमिलनाडु बीजेपी और DMK सरकार के बीच सोशल मीडिया पर "#GetOutStalin" अभियान ट्रेंड करने लगा। तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई के नेतृत्व में शुरू किए गए इस अभियान का मकसद डीएमके सरकार की कथित नाकामियों को उजागर करना था। हालांकि, माना जा रहा है कि इस अभियान की नींव एनपीई और भाषा विवाद से जुड़ी है।
यह घटनाक्रम तब सामने आया जब कुछ दिन पहले उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि अगर तमिलनाडु के अधिकारों को छीना गया तो राज्य 'Get Out Modi' अभियान शुरू करेगा।