उद्धव सेना ने स्टालिन के रुख से किया किनारा Photograph: (बोले भारत डेस्क)
मुंबईः महाराष्ट्र की राजनीति में बीते शनिवार एक नया मोड़ देखा गया जब उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे लगभग दो दशक बाद एक मंच पर नजर आए। दोनों नेता महाराष्ट्र सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में वापस लेने के फैसले पर अपनी जीत का जश्न मनाने के एक ही मंच पर जुटे थे। रविवार को उद्धव सेना ने तमिलनाडु के सीएम स्टालिन के समर्थन को कमतर आंकते हुए कहा कि हिंदी के प्रति उनका विरोध केवल प्राथमिक विद्यालयों में इसे शामिल करने तक ही सीमित है।
उद्धव सेना रे सांसद संजय राउत ने कहा "उनका मत हिंदी थोपने के खिलाफ है इसका मतलब है वे न तो हिंदी बोलेंगे और न किसी को हिंदी बोलने देंगे। लेकिन महाराष्ट्र में हमारा यह मत नहीं है। हम हिंदी बोलते हैं... हमारा रुख यह है कि हम प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी के लिए सख्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हमारी लड़ाई यहीं तक सीमित है।"
राउत ने स्पष्ट किया रुख
इस दौरान राउत ने यह स्पष्ट किया कि ठाकरे भाइयों का रुख प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी थोपने के खिलाफ है। इसके साथ ही राउत ने स्टालिन को उनकी लड़ाई में शुभकामनाएं दी, साथ ही एक रेखा भी खींची।
राउत ने आगे कहा "हमने किसी को हिंदी बोलने से नहीं रोका है क्योंकि हमारे पास यहां हिंदी की फिल्में, हिंदी सिनेमा और हिंदी म्यूजिक है...हमारी लड़ाई केवल प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी थोपने के खिलाफ है।"
उद्धव और राज ठाकरे के लंबे समय बाद एक ही मंच पर आने के बाद तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने इस रुख पर दोनों भाइयों का स्वागत किया। स्टालिन भारत सरकार के साथ 'हिंदी थोपने' को लेकर लगातार टकराव में हैं।
स्टालिन ने किया उद्धव-राज का स्वागत
सीएम स्टालिन ने इस संबंध में एक्स पर एक पोस्ट लिखा "भाषा अधिकार संघर्ष जो द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम और तमिलनाडु के लोगों द्वारा हिंदी को थोपे जाने के विरुद्ध पीढ़ी दर पीढ़ी चलाया जा रहा है, अब राज्य की सीमाओं को पार कर चुका है और महाराष्ट्र में विरोध के तूफान की तरह घूम रहा है।"
लंबे समय बाद साथ आए उद्धव और राज ठाकरे का स्वागत करते हुए स्टालिन ने कहा "हिंदी थोपे जाने के खिलाफ भाई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में आज मुंबई में आयोजित विजय रैली का उत्साह और शक्तिशाली भाषण हमें अपार उत्साह से भर देता है।"
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साल 2005 में एक साथ एक ही मंच पर नजर आए थे। इसी साल राज ठाकरे शिवसेना से अलग हो गए थे और 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया था।
बीते शनिवार को आयोजित हुई रैली में राज ठाकरे ने संबोधन के दौरान कहा "जो काम बाला साहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फड़नवीस ने कर दिया... हम दोनों को साथ लाने का काम।"