मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को अपने चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ करीब 20 साल बाद रैली करते हुए मंच साझा किया। इस दौरान राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने 'वह कर दिखाया जो बाला साहब ठाकरे भी नहीं कर पाए थे।'
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की यह रैली हाल में महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़नवीस सरकार के प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी भाषा से जुड़ी नीति को वापस लेने के जश्न के तौर पर आयोजित की गई थी।
गौरतलब है कि राज ठाकरे ने इससे पहले आखिरी बार 2005 में उद्धव के साथ मंच साझा किया था। इसके बाद राज ठाकरे उसी साल शिवसेना से अलग हो गए थे और 2006 में मनसे का गठन किया था।
हम सभी हिंदी भाषी राज्यों से आगे: राज ठाकरे
राज ठाकरे ने शनिवार को उद्धव के साथ साझा रैली को संबोधित करते हुए कहा, 'मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं। जो काम बाला साहब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फड़नवीस ने कर दिया... हम दोनों को साथ लाने का काम।'
मुंबई में वरली में रैली में राज ठाकरे ने कहा, 'मंत्री दादा भुसे (महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री) मेरे पास आए और मुझसे उनकी बात सुनने का अनुरोध किया। मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी बात सुनूंगा लेकिन राजी नहीं होऊंगा। मैंने उनसे पूछा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के लिए तीसरी भाषा क्या होगी। सभी हिंदी भाषी राज्य हमसे पीछे हैं और हम सभी हिंदी भाषी राज्यों से आगे हैं, फिर भी हमें हिंदी सीखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। क्यों?'
Mumbai: Maharashtra Navnirman Sena (MNS) Raj Thackeray says, "Minister Dada Bhuse came to me and requested me to listen to his point, I told him that I will listen to you but won’t be convinced. I asked him what the third language would be for Uttar Pradesh, Bihar, and Rajasthan.… pic.twitter.com/GeQ4ge0aru
— ANI (@ANI) July 5, 2025
राज ठाकरे ने एमएनएस और शिवसेना (यूबीटी) कार्यकर्ताओं को मराठी में संबोधित करते हुए कहा, 'आपके (मौजूदा राज्य सरकार) पास विधान भवन में सत्ता हो सकती है, हमारे पास सड़कों की सत्ता है।' राज ठाकरे ने आगे कहा, 'मराठी लोगों द्वारा दिखाई गई मजबूत एकता के कारण महाराष्ट्र सरकार ने तीन-भाषा फॉर्मूले पर फैसला वापस ले लिया।'
राज ठाकरे ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम शांत हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी से डरते हैं। मुंबई को महाराष्ट्र से कोई भी अलग नहीं कर सकता। हिंदी अच्छी भाषा है, लेकिन इसे थोपा नहीं जा सकता है। हिंदी बोलने वाले महाराष्ट्र में रोजगार के लिए आते हैं।
ठाकरे ने सवाल करते हुए कहा कि तीन भाषा का फॉर्मूला कहां से आया? ये सिर्फ केंद्र सरकार से आया है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ अंग्रेजी में है, किसी और राज्य में ऐसा नहीं है। सिर्फ महाराष्ट्र में ही ऐसा क्यों? जब महाराष्ट्र जागता है, तो दुनिया देखती है। मराठा शासन हिंदी भाषा से भी पुराना है। मेरे पिता और बाला साहेब ने भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई की थी। क्या आपने कभी उनके मराठी या महाराष्ट्र प्रेम पर सवाल उठाया?
'लालकृष्ण आडवाणी के हिंदुत्व पर किसी ने सवाला उठाया?'
राज ठाकरे ने कहा कि हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम जाते हैं तो हमारी मराठी पर सवाल उठते हैं। लालकृष्ण आडवाणी मिशनरी स्कूल में पढ़े हैं तो क्या उनके हिंदुत्व पर सवाल उठाएं? हम हिंदी थोपना बर्दाश्त नहीं करेंगे। वे बस मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना चाहते हैं, यही उनका एजेंडा है। वे मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। अब वे यह मुद्दा उठा रहे हैं कि ठाकरे के बच्चे अंग्रेजी में पढ़े हैं। यह क्या बकवास है? कई भाजपा नेताओं ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की है, लेकिन किसी को उनके हिंदुत्व पर संदेह है।
उन्होंने कहा, 'दक्षिण में स्टालिन, कनिमोझी, जयललिता, नारा लोकेश और सूर्या, सभी ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है। बालासाहेब और मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है, लेकिन वे मातृभाषा मराठी के प्रति बहुत संवेदनशील थे। बालासाहेब ठाकरे ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की, लेकिन उन्होंने मराठी भाषा से समझौता नहीं किया। किसी को भी मराठी को तिरछी नजर से नहीं देखना चाहिए।'
वहीं, उद्धव ठाकरे ने मंच पर आते ही कहा, 'राज ठाकरे ने बहुत कुछ बोल दिया, क्या मुझे कुछ बोलने की जरूरत है?'
बताते चलें कि महाराष्ट्र सरकार ने इसी साल अप्रैल में कक्षा 1 से 5वीं तक तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। हालांकि विरोध बढ़ने के बाद सरकार ने इसे वापस ले लिया। सीएम फड़नवीस ने कहा था कि तीन भाषा नीति को लेकर शिक्षाविद नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसके रिपोर्ट के बाद ही हिंदी की भूमिका पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। सरकार ने कहा कि मराठी और अंग्रेजी मीडियम में कक्षा 1 से 5वीं तक पढ़ने वाले स्टूडेंट तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा भी दूसरी भारतीय भाषा चुन सकते हैं।
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)