'Tiger Man' वाल्मीक थापर का 73 की उम्र में निधन, कैंसर से थे पीड़ित

टाइगर मैन के नाम से मशहूर संरक्षणविद वाल्मीक थापर का निधन हो गया। उन्होंने चार दशक तक वन्यजीवों के संरभण का काम किया। उन्होंने बीबीसी के लिेए कई डॉक्युमेंट्री भी बनाईं।

tiger man valmik thapar died at age of 73 suffering from cancer

टाइगर मैन वाल्मीक थापर का निधन Photograph: (बोले भारत डेस्क )

Valmik Thapar Death: 'टाइगर मैन' के नाम से प्रख्यात मशहूर संरक्षणविद वाल्मीक थापर का 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दिल्ली के कौटिल्य मार्ग स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर साढ़े तीन बजे लोधी इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में किया जाएगा।

भारत के संरक्षण हस्तियों में वह एक जाना माना नाम थे। उन्होंने अपने जीवन के चार दशक वन्यजीव संरक्षण में दिए। इसमें उन्होंने खास तौर पर बाघों के संरक्षण पर अत्यधिक काम किया। इसीलिए उन्हें टाइगर मैन से जाना जाता है। 

संरक्षण की दुनिया का जाना माना नाम

उन्होंने रणथंभौर की स्थापना में विशेष योगदान दिया। यह एक गैर सरकारी संस्था(एनजीओ) है जो समुदाय आधारित संरक्षण के प्रयास करती है। इसकी स्थापना साल 1980 में हुई थी। वह शिकार विरोधी सख्त कानूनों और बाघ आवासों के संरक्षण के अगुवा थे। वह वन्यजीवों के लिए मानव हस्तक्षेप से मुक्त क्षेत्रों की मांग करते थे। 

उनके पिता रोमेश थापर एक जाने माने पत्रकार थे। वहीं इतिहासकार रोमिला थापर उनकी बुआ हैं। वहीं, पत्रकार करन थापर उनके चचेरे भाई हैं। थापर की शादी थिएटर कलाकार संजना कपूर से हुई थी। संजना कपूर मशहूर बॉलीवुड एक्टर शशि कपूर की बेटी हैं। 

उनके निधन पर सामाजिक जगत की कई हस्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। उनके निधन पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि "पिछले चार दशकों में संरक्षण की दुनिया में - खास तौर पर बाघों के संरक्षण में - एक महान शख्सियत वाल्मीकि थापर का निधन हो गया है। यह एक बड़ी क्षति है।"

उन्होंने "टाइगर फायर" और "लिविंग विद टाइगर्स" जैसी किताबें भी लिखीं। अपने जीवन में उन्होंने वन्यजीव पर आधारित 30 से अधिक पुस्तकें लिखीं या उनका संपादन किया। 

उनके निधन पर संरक्षण जीवविज्ञानी नेहा सिन्हा ने उन्हें श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए उनकी किताबों को पढ़ने का आग्रह किया। कई डॉक्युमेंट्रीज के माध्यम से उन्होंने भारतीय वन्यजीवन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। बीबीसी के लिए भी उन्होंने कई फिल्मों का सह-निर्माण और प्रस्तुति भी की। 

साल 2024 में वह डॉक्युमेंट्री 'माई टाइगर फैमिली' में दिखाई दिए। 

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