तमिलनाडुः पुलिस हिरासत में युवक की मौत के बाद पांच पुलिसकर्मियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया

तमिलनाडु में अजीत कुमार की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद पांच पुलिसकर्मियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या वह कोई आतंकवादी है?

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पुलिस हिरासत में सुरक्षा गार्ड की मौत के बाद पांच पुलिसकर्मियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया। Photograph: (बोले भारत डेस्क)

चेन्नईः तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर 15 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ यह कार्रवाई 27 वर्षीय अजीत कुमार की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में की गई है। अजीत कुमार एक मंदिर में सुरक्षा गार्ड के रूप में नौकरी करता था। उसे कथित तौर पर चोरी के आरोप में पुलिस ने हिरासत में लिया था और पुलिस हिरासत के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद यह मामला अपराध शाखा के आपराधिक जांच विभाग को सौंप दिया गया है। 

घटना को देखते हुए शिवगंगा जिले के पुलिस अधीक्षक आशीष रावत का तबादला कर दिया गया। उनकी जगह पर जी चंदीश को नियुक्त किया गया है। 

पुलिस ने ली थी हिरासत

अजीत कुमार को ज्वैलरी की चोरी के आरोप में 27 जून को पूछताछ के लिए पुलिस ने हिरासत में लिया था, जहां बाद में अजीत की मौत हो गई। अजीत कुमार के भाई नवीन के मुताबिक, पुलिस के अत्याचार की वजह से उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद विपक्ष के नेताओं ने भी हिरासत में हुई मौत को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। इस मामले में जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की भी मांग कर रहे हैं। 

इंडिया टुडे ने इस मामले में दर्ज एफआईआर के हवाले से लिखा हेड कांस्टेबल ने कानन ने कहा कि थिरुप्पुवनम एक इंस्पेक्टर और उप पुलिस अधीक्षक ने अधिकारियों को चोरी के आभूषणों के बारे में अजीत से स्पष्ट विवरण प्राप्त करने का निर्देश दिया था। इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि अजीत ने कथित तौर पर चोरी के आरोप को कबूलने से पहले कुछ लोगों के नाम बताए और एक गौशाला तक ले गया।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि तलाशी के दौरान अजीत कुमार ने कथित तौर पर भागने का प्रयास किया। इस दौरान वह फिसल कर गिर गया। हेड कांस्टेबल कानन ने दावा किया कि वह अन्य संदिग्धों को उनके परिवारों के पास सौंपने चले गए। कानन ने कहा कि उन्होंने अजीत को चार अन्य अधिकारियों प्रभु, आनंद, राजा और शंकरमणिकंदन की हिरासत में छोड़ दिया। 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में संदेह

इसके बाद कानन को कथित तौर एक फोन आता है जिसमें कहा गया कि अजीत ने फिर से भागने की कोशिश की और इस दौरान उसे मिर्गी का दौरा पड़ा और उसे अस्पताल ले जाया गया। बाद में उसे सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया जहां 28 जून को उसकी मौत हो गई।

हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस के बयान पर संदेह पैदा कर दिया है। इस रिपोर्ट में पता चला है कि अजीत कुमार के शरीर पर कम से कम 18 चोटों के निशान थे। इसमें कोहनी, टखने, गाल, कूल्हे और पसलियों पर घाव के निशान, कानों पर सूखा खून है। इसके साथ ही सिर से लेकर पैरों तक चोटों के निशान हैं जो हिरासत में हुई पुलिस अत्याचार की ओर संकेत करते हैं।

इससे पहले इस मामले में एआईएडीएमके की कानूनी शाखा ने एक याचिका दायर की थी जिसके बारे में सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा था कि क्या वह कोई "आतंकवादी" है? इस याचिका में यह भी कहा गया है कि बीते चार वर्षों में न्यायिक हिरासत में 24 लोगों की मौत हुई है। 

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