चेन्नईः मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने पुलिस हिरासत में व्यक्ति की मौत के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में पुलिस ने एक सुरक्षा गार्ड अजीत कुमार को हिरासत में लिया था और हिरासत के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि क्या वह कोई "आतंकवादी" था?
इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम और सीवी कार्तिकेयन ने कुछ अहम मुद्दे उठाए। अदालत ने पूछा कि अजीत कुमार को पहले पकड़ा क्यों गया था? इसके साथ ही यह भी पूछा कि वह कोई "आतंकवादी" था जिसके साथ ऐसा व्यवहार किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान यह भी पूछा गया कि बिना किसी हथियार के भी उसके साथ कथित तौर पर मारपीट क्यों की गई?
AIADMK ने दायर की थी याचिका
इस मामले के संबंध में एआईएडीएमके की कानूनी शाखा ने याचिका दायर की थी,जिसके आधार पर सुनवाई हुई। इस याचिका में कहा गया कि राज्य में बीते 4 वर्षों में हिरासत में मौत के 24 मामले सामने आए हैं। अदालत ने इन सभी मौतों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है। हालांकि, सरकारी वकील ने इसके लिए समय की मांग की। इसके बाद अदालत ने मंगलवार को सुनवाई तय की है।
शिवगंगा जिले के उप पुलिस अधीक्षक आशीष रावत ने घटना के संबंध में जांच के आदेश दिए हैं। इस बीच छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। जिन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है, उनका नाम रामचंद्रन, प्रभु, कानन, संकर मणिकंदन, राजा और आनंद हैं।
यह घटना थिरुपुवनम में हुई जहां अजीत कुमार को चोरी की शिकायत के आधार पर पूछताछ के लिए उठाया गया था। दरअसल, एक 42 वर्षीय महिला ने आरोप लगाया था जब वह मदापुरम कलिम्मान मंदिर गई थी तो उसने सुरक्षा गार्ड के तौर पर तैनात अजीत कुमार से गाड़ी पार्क करने को कहा था। महिला ने कहा कि उसकी गाड़ी से 80 ग्राम सोना गायब था।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अजीत ने कथित तौर पर कार को हटाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति से मदद मांगी क्योंकि उसे गाड़ी चलानी नहीं आती थी।
दोबारा ली गई हिरासत
एक बार पूछताछ के बाद छोड़ दिए जाने के बाद अजीत को कथित तौर दोबारा हिरासत में लिया गया। इसके कुछ समय बाद पुलिस ने परिवार को उसकी मौत के बारे में सूचना दी। अजीत के परिवार ने आरोप लगाया कि उसकी मौत पुलिस द्वारा दी गई यातना के चलते हुई।
अजीत के भाई नवीन ने कहा कि पांच लोगों को पुलिस द्वारा उठाया गया था जिसमें वह भी शामिल था। नवीन ने कहा कि पुलिस ने सभी पर अत्याचार किया। नवीन ने कहा "मेरे समेत पांच लोगों को पकड़ लिया गया और हम पर हमला किया गया और पीटा गया। उसने (महिला ने) उससे गाड़ी पार्क करने को कहा था क्योंकि वह दिव्यांग थी, लेकिन वह गाड़ी चलाना नहीं जानता था। इसलिए उसने किसी और से कहा। बाद में पुलिस ने कहा कि ज्वैलरी गायब थी। उन्होंने उसे बुरी तरह मारा।"
एआईएडीएमके के महासचिव एडाप्पादी के पलानीस्वामी ने न्यायिक जांच की मांग की है। इसके साथ ही परिवार के लिए मुआवजे की मांग की है और जो भी इसमें शामिल हैं, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने सीएम स्टालिन पर भी निशाना साधते हुए कहा है कि यदि कोई अपराधी पाया जाता है तो उसे गिरफ्तार करके अदालत के सामने पेश किया जाना चाहिए न कि पुलिस द्वारा बुरी तरह से पीटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं कठपुतली मुख्यमंत्री की आलोचना करता हूं जो पुलिस विभाग के प्रमुख तो हैं लेकिन उसे नियंत्रण करने में असमर्थ हैं।
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नयनार नागेंद्रन ने भी घटना पर दुख व्यक्त किया है और राज्य सरकार से त्वरित निष्पक्ष जांच की मांग की है।