'पर्यावरण की रक्षा के लिए करेंगे हर संभव प्रयास', हैदराबाद में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

हैदराबाद विश्वविद्यालय से सटी 400 एकड़ की भूमि पर पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि वह पर्यावरण की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

supreme court on tree felling in kanacha gachibowli in telangana

सुप्रीम कोर्ट ने वन्यजीव वार्डन को जानवरों की रक्षा का दिया आदेश Photograph: (X/supreme court website)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के बगल स्थित भूमि पर पेड़ों की कटाई को लेकर चिंता व्यक्त की है। इस दौरान अदालत ने कहा कि वह पर्यावरण और पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगी। 

गौरतलब है कि हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली की 400 एकड़ जमीन पर पेड़ों की कटाई शुरू हुई थी। सरकार यहां पर एक औद्योगिक क्षेत्र विकसित करना चाहती है। बीते दिनों हुई पेड़ों की कटाई के दौरान सोशल मीडिया पर कई वीडियो तेजी से वायरल हुए जिनमें पशु-पक्षी भागते दिख रहे थे। 

सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वतः लिया संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई आगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने पेड़ों की गिरावट में जल्दबाजी करने पर सवाल उठाया और पीठ ने तेलंगाना सरकार को फटकार लगाई है। 

अदालत ने तेलंगाना की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक सिंघवी से कहा "आपको एक योजना बनानी होगी कि आप उन 100 एकड़ भूमि को कैसे बहाल करेंगे। "

वहीं, न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट उन वीडियोज को देखकर आश्चर्यचकित था जिनमें जानवर आश्रय की तलाश में भागते दिख रहे हैं। 

इसके साथ ही अदालत ने तेलंगाना वन्यजीव वार्डन को वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। 

पर्यावरण को बचाने का हर संभव प्रयास करेंगे

सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा "पर्यावरण और पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। "

इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी। अदालत ने मौखिक रूप से यह कहा कि इस दौरान एक भी पेड़ की कटाई नहीं होनी चाहिए। 

बताते चलें कि कांचा गाचीबोवली की 400 एकड़ पर पेड़ों की कटाई को लेकर बीती तीन अप्रैल मामले को स्वतः संज्ञान में लिया था और इसे "गंभीर मामला" बताया था। 

इसके साथ ही बेंच ने तेलंगाना सरकार से भी सवाल करते हुए कहा कि वह बताएं कि बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनिवार्य आवश्यकता के बारे में बताए। इसके साथ ही अगली सुनवाई तक किसी भी प्रकार की गतिविधि पर रोक की बात भी कही है। 

गौरतलब है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र राज्य सरकार की इस योजना का विरोध कर रहे थे जिसमें वह इसे विकसित करने की योजना बना रही थी। हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया था। इसके बाद प्रशासन ने 50 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया था। 

इसके बाद तेलंगाना हाई कोर्ट ने छात्रों द्वारा दायर की गई याचिका पर दो अप्रैल को 24 घंटों के लिए रोक लगा दी थी। छात्रों की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि यदि किसी भूमि पर वन्यजीवों का निवास है, तो पेड़ काटने से पहले एक समिति द्वारा एक महीने तक इसका अध्ययन किया जाना चाहिए।

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