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सुप्रीम कोर्ट के सभी 33 जजों की संपत्ति का ब्यौरा अब सार्वजनिक किया जाएगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डाला जाएगा।
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यह निर्णय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर कथित तौर पर कैश मिलने के बाद लिया गया है, जिससे न्यायपालिका की साख पर सवाल उठे।
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सभी जजों ने एक अप्रैल को हुई बैठक में इस निर्णय के लिए सहमति दी, हालांकि प्रस्ताव अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
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यह निर्णय सिर्फ मौजूदा जजों पर ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाले जजों पर भी लागू होगा।
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इससे पहले, जजों की संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं था और यह न्यायमूर्तियों के विवेक पर निर्भर करता था।
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2009 में सुप्रीम कोर्ट ने जजों की संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने का निर्णय लिया था, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया था।
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1997 के एक फैसले में जजों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा भारत के मुख्य न्यायाधीश को देना अनिवार्य था।
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2019 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जजों की निजी संपत्ति और ऋण निजी सूचना नहीं हैं।
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यशवंत वर्मा के मामले की न्यायिक जांच जारी है, और यह निर्णय न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।
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