नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाएगा। सभी 33 जजों ने इसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डालने की सहमति दे दी है। बीते दिनों दिल्ली हाई कोर्ट के जज के घर पर कथित तौर पर कैश पाए जाने के बाद यह अहम निर्णय आया है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मु्ताबिक, बीते एक अप्रैल को सभी जजों के साथ हुई बैठक में यह अहम फैसला लिया गया था। इस संबंध में जजों के बीच एक प्रस्ताव पारित किया गया था। हालांकि, यह प्रस्ताव अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
मौजूदा जजों के अलावा आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट में जो भी जज बनेंगे, उनके लिए भी यह फैसला लागू होगा। इससे पहले जजों की संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं था। यह न्यायमूर्तियों के विवेक पर निर्भर था कि वे अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना चाहते हैं अथवा नहीं।
साल 2009 का फैसला
साल 2009 में उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला लिया था जो कि जनता और न्यायपालिका के भीतर से भारी दबाव के बीच आया था। उस साल उच्चतम न्यायालय ने जजों की संपत्ति का ब्यौरा अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्णय लिया था।
हालांकि, अदालत का यह निर्णय साल 1997 के एक अन्य निर्णय का अनुसरण करता है। इसमें उच्चतम न्यायालय के जजों को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य किया गया था। इस मामले में सभी जजों को संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य था लेकिन 2009 के फैसले में ऐसा अनिवार्य नहीं था बल्कि यह न्यायमूर्तियों के विवेक पर निर्भर करता था।
हालांकि, 2018 तक किसी भी जज ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया था। ऐसा न करने के पीछे जजों ने निजता की चिंताओं को लेकर ऐसा नहीं किया था। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि जजों की निजी संपत्ति और ऋण निजी सूचना नहीं है।
बीते दिनों न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर कथित तौर पर कैश मिलने पर न्यायपालिका की साख पर सवाल उठना शुरू हो गए थे। इस मामले की न्यायिक जांच अभी की जा रही है।