नई दिल्लीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के उकसावे का जवाब शक्तिशाली लेकिन संयम के साथ दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान संयमित कार्रवाई की। सिंह ने कहा कि भारतीय सैन्य बल अधिक नुकसान करने के लिए सक्षम हैं लेकिन सरकार ने दुनिया के सामने अनुशासन रणनीतिक समन्वय का प्रदर्शन किया। 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय उद्योग परिसंघ (कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के दोहरे लक्ष्यों पर जोर दिया तथा भारत की रक्षा तैयारी को बढ़ाने में मेक इन इंडिया पहल की भूमिका की सराहना की। 

आतंकी ठिकानों को किया ध्वस्त

उन्होंने कहा ‘‘आपने देखा कि कैसे हमने पहले आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया और फिर दुश्मन के सैन्य ठिकानों और एयरबेसों को नष्ट किया।’’

राजनाथ सिंह ने आगे कहा "करने को तो हम कुछ भी कर सकते थे लेकिन हमने दुनिया के सामने शक्ति और संयम के समन्वय का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया।"

सिंह ने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सैन्य बलों ने नपी तुली लेकिन निर्णायक स्ट्राइक की। गौरतलब है कि भारतीय सैन्य बलों ने छह और सात मई की दरम्यानी रात आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए यह ऑपरेशन लांच किया था। इसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। इन आतंकी ठिकानों में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल-मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया गया था जिसमें करीब 100 आतंकी मारे गए थे। 

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भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान की तरफ से सीमा पार गोलीबारी की गई। इसके अलावा मिसाइल और ड्रोन अटैक के भी प्रयास किए गए। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान के 11 सैन्य एयरबेस को तहस-नहस कर दिया।

10 मई को हुआ सीजफायर समझौता

इस सब के बाद दोनों देशों के बीच 10 मई को समझौता हुआ जिसमें गोलीबारी पर रोक लगाई गई और दोनों देशों के बीच सीमा पर जारी तनाव खत्म हुआ। 

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि पाकिस्तान से निपटने का भारत का दृष्टिकोण अब मौलिक रूप से बदल गया है। उन्होंने कहा "हमने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को फिर से तैयार किया है। अब से जब भी बात होगी केवल आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर बात होगी। पाकिस्तान के साथ किसी अन्य मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं होगी। "

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उन्होंने कहा कि पीओके के लोग हमारे अपने हैं। हम एक परिवार का हिस्सा हैं। हम दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि हमारे भाई जो आज भौगोलिक और राजनैतिक रूप से अलग हैं, वे एक दिन भारतीय मुख्यधारा में आत्मसम्मान और अपनी इच्छा के साथ जरूर लौटेंगे। 

इसके साथ ही उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि भले ही भारत और पीओके के लोग लंबे समय से साथ न रह रहे हों लेकिन हमारे भावनात्मक और सांस्कृतिक रिश्ते मजबूत हैं।