नई दिल्लीः देश की प्रमुख शराब निर्माता कंपनी रेडिको खेतान ने अपने हाल ही में लॉन्च किए गए व्हिस्की ब्रांड ‘त्रिकाल’ को बाजार से हटाने का फैसला किया है। यह निर्णय धार्मिक समूहों, सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं और राजनीतिक हस्तियों की तीखी आलोचना के बाद लिया गया, जिन्होंने ब्रांड के नाम और लेबल को हिंदू भावनाओं को आहत करने वाला बताया।

बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कंपनी ने कहा, “हम सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण एक गौरवशाली भारतीय कंपनी हैं। इस धरती पर जन्मी, इसके लोगों द्वारा निर्मित और इसके मूल्यों को संरक्षित रखने के लिए समर्पित। हम हर भारतीय की भावनाओं को अपने दिल के करीब रखते हैं और साझा पहचान से जुड़ी हर आवाज को सम्मान देते हैं।”

कंपनी ने आगे कहा कि हम समझते हैं कि ब्रांड के नाम को लेकर चिंताएं जताई गई हैं। एक जिम्मेदार और संवेदनशील संगठन के रूप में, आंतरिक समीक्षा के बाद, हमने ब्रांड को वापस लेने का फैसला किया है।

'त्रिकाल' नाम और प्रतीक पर क्यों हुआ विवाद?

रेडिको खेतान की प्रीमियम श्रेणी की सिंगल माल्ट व्हिस्की, जिसकी कीमत 3,500 रुपये से 4,500 रुपये के बीच थी, के लेबल पर एक टील रंग की पृष्ठभूमि पर बंद आंखों वाले चेहरे और माथे पर चक्र के साथ एक रेखांकन था। कई उपभोक्ताओं और धार्मिक समूहों ने इसे भगवान शिव की तीसरी आंख से जोड़कर देखा और इसे सनातन धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताया।

हिंदू संगठनों और कुछ संत समुदायों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ‘त्रिकाल’ शब्द हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और गूढ़ अर्थ रखता है, और इसका उपयोग शराब जैसे उत्पाद से जोड़ना अनुचित है।

नाम के पीछे कंपनी की मंशा

नाम के पीछे की प्रेरणा को समझाते हुए कंपनी ने कहा कि 'त्रिकाल' संस्कृत से आया है और इसका अर्थ है 'तीन बार' - अतीत, वर्तमान और भविष्य का जिक्र। यह प्रगति और नवाचार को गले लगाते हुए भारत की समृद्ध विरासत का सम्मान करने में हमारी गहरी जड़ें जमाए हुए विश्वास को दर्शाता है। 'त्रिकाल' कभी भी सिर्फ एक नाम नहीं था - इसका उद्देश्य भारत की कालातीत भावना, हमारे कारीगरों के हाथों और हमारी संस्कृति की आत्मा को श्रद्धांजलि देना था।

इस बात पर जोर देते हुए कि यह निर्णय पूरी तरह से व्यावसायिक नहीं था, बयान में आगे कहा गया, "यह केवल व्यावसायिक निर्णय नहीं है। यह सम्मान, प्रतिबिंब और हमारे लोगों और हमारे देश की भावनाओं का सम्मान करने की हमारी अटूट प्रतिबद्धता का संकेत है।"

उत्तराखंड में नहीं बिकेगी इस ब्रांड की शराब

विवादों के बीच सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें आईं कि उत्तराखंड में भी 'त्रिकाल' व्हिस्की बेची जा रही है। हालांकि उत्तराखंड आबकारी विभाग ने इसे खारिज किया है। आबकारी आयुक्त हरिचंद्र सेमवाल ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने इस ब्रांड को न तो बनाने की और न ही बेचने की अनुमति दी है। उन्होंने इसे भ्रामक, असत्य और साजिशन फैलाई गई अफवाह बताया।

उन्होंने कहा कि यह झूठी खबर राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की मंशा से फैलाई गई है। उत्तराखंड में देवी-देवताओं के नाम पर शराब के ब्रांड की इजाजत नहीं दी जाएगी। राज्य सरकार ने चेतावनी दी है कि अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, आम जनता से अपील की गई है कि ऐसी खबरों पर यकीन न करें और प्रशासन को तुरंत जानकारी दें।

समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ