जम्मू: पहलगाम में 26 लोगों की हत्या करने वाले वाले आतंकियों को सुरक्षा बलों ने पिछले पांच दिनों में अलग-अलग जगहों पर कम से कम चार बार खोज निकाला। सामने आई जानकारी के अनुसार इन आतंकियों को घेरने की कोशिश में कम से कम एक बार सुरक्षा बलों की इनके साथ गोलीबारी भी हुई है। हालांकि, इन्हें पकड़ा या मारा नहीं जा सका। 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा बल चारों बार दक्षिणी कश्मीर के जंगलों में इन आतंकियों के करीब पहुंचने में कामयाब हुए। सूत्रों ने बताया कि स्थानीय निवासियों से मिली जानकारी, खुफिया सूचनाओं और तलाशी अभियानों के जरिए इन आतंकवादियों का पता लगाया गया। 

एक सैन्य अधिकारी ने इस अखबार को बताया, 'यह बिल्ली और चूहे का खेल है। कुछ मौके आए हैं जब उन्हें ढूंढ लिया गया। लेकिन जब तक उनसे मुठभेड़ होती, वे भाग चुके होते। जंगल बहुत घने हैं और किसी को आसानी से ढूंढ लेने के बाद भी उसका पीछा करना आसान नहीं है। लेकिन हमें यकीन है कि हम उन्हें पकड़ लेंगे, बस कुछ ही दिनों की बात है।' 

सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर पहलगाम के आसपास के जंगलों में घेराबंदी और तलाशी अभियान चला रही है, ताकि चार आतंकवादियों को पकड़ा जा सके। इन आतंकवादियों में दो पाकिस्तानी भी शामिल हैं, जिन्होंने 21 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन मैदान में 26 लोगों की हत्या कर दी थी।

चार मौकों पर सुरक्षाबल पहुंचे करीब पर बच निकले आतंकी

सूत्रों ने बताया कि आतंकवादियों को पहले अनंतनाग के पहलगाम तहसील के हापत नार गांव के पास जंगलों में देखा गया था, लेकिन वे घने इलाके का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे। सूत्रों ने बताया कि बाद में आतंकवादियों को कुलगाम के जंगलों में देखा गया, जहां से भागने से पहले उन्होंने सुरक्षा बलों के साथ गोलीबारी की। आतंकियों को फिर से त्राल रिज और फिर कोकरनाग में देखा गया, जहां वर्तमान में उनके छुपे होने संदेह है।

सूत्रों के अनुसार आतंकवादियों द्वारा अपने लिए रसद और खान-पान की व्यवस्था करने में 'ज्यादा सावधानी' बरतने के कारण तलाशी अभियान कठिन हो गया है। एक अधिकारी ने कहा, 'आम तौर पर, आतंकवादियों को भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती है और तभी वे गांवों में पहुंचते हैं। कभी-कभी, वे जंगलों में भोजन की आपूर्ति के लिए अपने स्थानीय संपर्कों को बुला लेते हैं। इससे भी खुफिया जानकारी मिल जाती है और सुरक्षा बलों को उन्हें घेरने का मौका मिल जाता है। हालांकि, ये आतंकवादी अभी काफी सावधानी चौकन्ने हैं।'

उन्होंने कहा, 'हमें एक मौके के बारे में पता चला था, जब वे रात के खाने के समय एक गांव में गए, एक घर में घुसे और खाना लेकर भाग गए। जब ​​तक सुरक्षा बलों को सूचना मिली और वे वहां पहुंचे, तब तक काफी समय बीत चुका था और आतंकवादी भाग चुके थे।' 

किश्तवाड़ रेंज का इस्तेमाल कर रहे आतंकी

सूत्रों ने कहा कि एक और चुनौती यह है कि किश्तवाड़ रेंज, जो पहलगाम की ऊंची पहाड़ियों से जुड़ी हुई है, वहां इस मौसम में कम बर्फबारी हुई है। अधिकारी ने कहा, 'इससे आतंकवादियों को पहाड़ी का इस्तेमाल करके जम्मू की तरफ जाने का विकल्प मिल जाता है, जहां जंगल घने हो सकते हैं और स्थितियों से निपटना मुश्किल हो सकता है। वे इधर-उधर जाने के लिए किश्तवाड़ रेंज का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन अभी तक हमारा मानना ​​है कि वे अभी भी दक्षिण कश्मीर में हैं।'

सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि आतंकवादी आने वाले कुछ दिनों में गलती करेंगे और उन्हें मार गिराया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि आतंकवादी बैसरन में मारे गए पर्यटकों के दो मोबाइल फोन अपने साथ ले गए हैं और वे इसका इस्तेमाल स्थानीय और सीमा पार संपर्क स्थापित करने के लिए कर सकते हैं। तकनीकी खुफिया नेटवर्क संभावित सुराग के लिए इन फोन की जांच कर रहा है।

इस बीच, जम्मू और कश्मीर में बॉर्डर वाले इलाकों में सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आतंकवादी सीमा पार न कर पाएं। वहीं, जम्मू कश्मीर पुलिस अपनी ओर से दक्षिण कश्मीर में आतंकी संगठनों के संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्करों से पूछताछ कर रही है ताकि सुराग मिल सके और यह पता लगाया जा सके कि हमले में और लोग शामिल थे या नहीं। जांच इस बात पर भी केंद्रित है कि हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में आतंकवादियों को किस तरह की रसद सहायता मिली होगी।