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प्रयागराज: महाकुंभ- 2025 का समापन आज महाशिवरात्रि के अमृत स्नान के साथ होने जा रहा है। 45 दिनों तक चले इस भव्य आयोजन में आस्था, अध्यात्म सहित आधुनिक दुनिया की तकनीक और व्यवस्थाओं का अद्भुत संगम देखने को मिला। देश और विदेश से आए करीब 65 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया।
अलग-अलग क्षेत्रों से आए साधु-संत, मंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन और तमाम चुनौतियों के बावजूद लोगों में यहां पहुंचने की अटूट श्रद्धा ने पूरी दुनिया का ध्यान इस आयोजन की ओर खींचा। भारतीय संस्कृति की भव्यता से रूबरू कराया।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले हफ्ते बताया था कि महाकुंभ के आयोजन से राज्य की अर्थव्यवस्था में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि का अनुमान है।
कुछ किलोमीटर तक फैले महाकुंभ आयोजन के स्थान में इतने करोड़ लोगों के लिए व्यवस्थाएं बनाना आसान नहीं था। 65 करोड़ से ज्यादा की संख्या...ये एक ऐसा आंकड़ा है, जो दुनिया में ज्यादातर देशों के जनसंख्या से भी कई गुना ज्यादा है। जाहिर है प्रशासन ने आयोजन को सुरक्षित और सफल बनाने में पूरा जोर लगा दिया। इसके बावजूद कुछ कमियां जरूर रह गईं।
खासकर मौनी अमावस्या के स्नान की सुबह मची भगदड़ ने व्यवस्थाओं को लेकर कई सवाल भी खड़े किए। आईए एक नजर डालते हैं...इस बार के महाकुंभ, इससे जुड़ी पिछले डेढ़ महीने में हुई चर्चाओं, सफलताओं, व्यवस्थाओं और कुछ बाकी रह गई कमियों पर।
महाकुंभ 2025: भव्य और सबसे अद्भुत आयोजन
यह महाकुंभ मेला पहले के आयोजनों से से कहीं अधिक भव्य था। उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक अब तक 65 करोड़ श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, यूपी सरकार ने दावा किया, 'इस महाकुंभ में किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन के मुकाबले सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई है।'
महाकुंभ में तमाम अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल व्यवस्था प्रबंधन के लिए किया गया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया गया। 500 से अधिक एआई कैमरे यूपी सरकार ने लगवाए जिनके माध्यम से श्रद्धालुओं की गिनती संभव हो सकी।
सरकार ने महाकुंभ के क्षेत्र को अस्थायी जिला घोषित किया। यही नहीं पुलिस थाने, प्रशासनिक कार्यालय और चौकियों को भी तैयार किया गया। यह पूरा क्षेत्र करीब 4000 हेक्टेयर में फैला था। इसे 25 सेक्टरों में बांटा गया और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। संगम तट पर श्रद्धालुओं के लिए 41 घाट तैयार किए गए। इसके अलावा प्रशासन ने 100 से ज्यादा पार्किग स्थल भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तैयार किए।
सुरक्षा व्यवस्था, एआई कैमरे, डिजिटल खोया-पाया केंद्र
पानी के भीतर भी ड्रोन और एआई-सक्षम कैमरों सहित उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया। यूपी पुलिस के जवानों के साथ-साथ एनएसजी कमांडो और करीब 500 गोताखोर भी तैनात किए गए थे। साथ ही वाटर एम्बुलेंस की भी व्यवस्था की गई थी।
इसके अलावा लोगों के ठहरने के लिए 2000 से अधिक टेंट सिटी, 40 से ज्यादा लग्जरी होटल, करीब 200 से ज्यादा गेस्ट हाउस, कई धर्मशालाएं और रैन बसेरे तैयार किए गए थे।
गूगल मैप की भी मदद ली गई, जिससे प्रमुख स्थानों को मार्क किया जा सका। इससे श्रद्धालुओं को इन जगहों मसलन- आश्रम, पुल, पार्किंग, मुख्य सड़क तक पहुंचने में मदद मिली।
मेले में कई स्थानों पर फेस रिकग्निशन कैमरे लगाए गए थे। यूपी सरकार के अनुसार इस बार डिजिटल खोया-पाया केंद्र भी स्थापित किए गए थे। कुंभ मेले में इसकी मदद से 20,000 से अधिक लापता लोगों को उनके प्रियजनों के साथ फिर से मिलाने में मदद मिली।
आम से लेकर खास...हर किसी ने किया स्नान
महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान करने वालों में आम लोगों के अलावा बेहद खास लोग भी शामिल रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कई अन्य केंद्रीय मंत्री महाकुंभ पहुंचे।
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इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार महाकुंभ में पवित्र स्नान करने वाले विपक्ष के राजनेताओं में से थे।
महाकुंभ में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, उनकी मां कोकिलाबेन और बेटे अनंत और आकाश ने भी हिस्सा लिया। अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी सहित एप्पल के सह-संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी महाकुंभ पहुंचीं।
साथ ही अक्षय कुमार जैसी हस्तियाँ, कोल्डप्ले सिंगर क्रिस मार्टिन और उनके साथी, अमेरिकी अभिनेत्री अभिनेता डकोटा जॉनसन, गुरु रंधावा, कैटरीना कैफ, विक्की कौशल, अनुपम खेर, शंकर महादेवन और रेमो डिसूजा ने भी इस विशाल धार्मिक आयोजन में भाग लिया।
भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक सहित 73 देशों के राजनयिकों ने प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई।
महाकुंभ से जुड़े ये विवाद भी आए सामने
इस भव्य आयोजन के बीच महाकुंभ मेले को लेकर कुछ विवाद भी सामने आए। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान की सुबह मची भगदड़ में दर्जनों श्रद्धालुओं की मौत हो गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 29 जनवरी की तड़के त्रिवेणी संगम घाट पर भगदड़ मचने से कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 60 अन्य घायल हो गए। अचानक बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने के लिए जुटे जिससे बैरियर टूट गया और लोग कुचले गए। कई रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया कि उसी दिन महाकुंभ मेले में एक और भगदड़ मची थी। हालांकि, सरकार ने उस पर कोई बयान या आंकड़ा जारी नहीं किया है।
इन विवादों के बीच भीड़ और ट्रैफिक जाम भी महाकुंभ मेले के दौरान चर्चा में रहा। कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार महाकुंभ में आने वाले हजारों श्रद्धालु घंटों तक राजमार्गों पर फंसे रहे क्योंकि प्रयागराज की ओर जाने वाले रास्तों पर सैकड़ों किलोमीटर तक लंबा ट्रैफिक जाम देखा गया।
इसके अलावा स्नान वाली जगहों पर पानी की गुणवत्ता को लेकर विवाद छिड़ा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट सुर्खियां बनीं। कई जानकारों ने हालांकि रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े किए और अधूरा बताया। वहीं, राजनीतिक बयानबाजी भी इस मुद्दे पर खूब हुई। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने सीपीसीबी की उस रिपोर्ट को खारिज किया और दावा किया कि संगम में पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त है।
वहीं, दूसरी ओर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य सरकार को महाकुंभ मेले में नदी के विभिन्न स्नान स्थलों से नवीनतम जल गुणवत्ता विश्लेषण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।