नई दिल्लीः इन दिनों यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा का नाम सुर्खियों में है। ज्योति पर आरोप हैं कि उसने पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों को संवेदनशील जानकारी साझा की है। इसमें सैन्य जानकारी भी शामिल है।

ऐसे में इस जासूसी मामले के चलते एक पुराना नाम भी सामने आ रहा है। यह नाम है भारतीय राजनयिक माधुरी गुप्ता का जिसने पाकिस्तानी एजेंटों के साथ भारत की संवेदनशील जानकारी साझा की थी और उनके कहने पर कश्मीर का दौरा भी किया था। 

IFS माधुरी गुप्ता की कहानी

यह मामला साल 2010 का है। एक ओर जहां ज्योति एक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर हैं तो वहीं माधुरी पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग में राजनयिक थीं। वह प्रेस और सूचना की द्वितीय सचिव के पद पर थीं।

माधुरी गुप्ता हनी ट्रैप का शिकार हुई थी और पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी जमशेद के झूठे प्यार के दावों का शिकार हुई। जमशेद ने झूठे प्यार का हवाला देकर अपने एजेंडा को पूरा करने के लिए चतुराई से उसकी भावनाओं का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। 

साल 2010 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने माधुरी गुप्ता को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 के तहत गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) को सेना संबंधी खुफिया जानकारी साझा करने के चलते हुई थी। 

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पुलिस द्वारा की गई जांच में पता चला था कि इसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के दो अधिकारी शामिल हैं। इन अधिकारियों के नाम मुदस्सर रजा राणा और जमशेद हैं।

इन दोनों अधिकारियों का संपर्क माधुरी से एक महिला पत्रकार के द्वारा हुआ था। दरअसल, माधुरी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी सरगना मौलाना मसूज अजहर द्वारा लिखी किताब की तलाश कर रही थी। इसकी जानकारी मिलने के बाद पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों ने माधुरी के साथ खतरनाक दोस्ती बनाई। 

पुलिस जांच में क्या पता चला था?

जांच में यह भी पता चला कि 52 वर्षीय माधुरी जमशेद के लगातार संपर्क में थी और उसका कोड नेम जिम रखा था। वह अपने ब्लूबेरी फोन और घर पर लगे कंप्यूटर के जरिए जमशेद और राणा के साथ संपर्क में थी। 

वह जिम यानी जमशेद के साथ इतनी दीवानी थी कि कथित तौर पर इस्लाम धर्म अपनाकर उससे शादी करना चाहती थी। जिम के साथ अक्सर उसकी बातचीत काम के सिलसिले में होती थी। इसके अलावा कभी-कभी यह बातचीत सूफीवाद, रूमी और उर्दू के बारे में भी होती थी क्योंकि वह उर्दू की जानकार थी। 

जांच में माधुरी के पास से करीब छह दर्जन ई-मेल प्राप्त हुए थे। ये मेल पाकिस्तानी एजेंटों द्वारा उसके लिए बनाए गए थे। इस जांच में यह भी पता चला कि किस तरह इन खुफिया अधिकारियों ने माधुरी की भावनाओं से खेलते हुए उससे जरूरी संवेदनशील जानकारी हासिल की।

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माधुरी ने पूछताछ के दौरान बताया था कि उसने भारत सरकार से दो साल के विश्राम अवकाश की मांग की थी। हालांकि, इस पर मंजूरी न मिलने की वजह से वह निराश और गुस्सा थीं। 

साल 2010 में कश्मीर दौरे के दौरान उसने राणा के निर्देश पर राज्य की वार्षिक योजना रिपोर्ट भी हासिल की थी। इस्लामाबाद में उसके वरिष्ठ अधिकारियों की नजर उस पर तब पड़ी जब उसने अपने दायरे से आगे के मामलों में दिलचस्पी दिखानी शुरू की। इसके बाद सभी अलर्ट हो गए और माधुरी गुप्ता को सार्क की तैयारियों के लिए दिल्ली बुलाया गया और यहां गिरफ्तार किया गया। 

2018 में पाया गया दोषी

साल 2018 में जिला अदालत ने माधुरी को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा तीन और पांच के तहत दोषी पाया। अदालत ने कहा कि उनके द्वारा भेजे गए ईमेल संवेदनशील जानकारी दुश्मन देश को साझा करते थे जो भारत की विदेश नीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण थे। 

सजा के बाद गुप्ता ने एकांतवास में जीवन व्यतीत किया। बेल पर बाहर आने के बाद वह राजस्थान के भिवाड़ी में रहने लगी थी। 2021 में 64 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। माधुरी ने अपनी सजा के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का भी रुख किया था लेकिन उनकी मौत तक यह मामला लंबित रहा और सुनवाई न हो सकी। 

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां काफी सतर्क हो गई हैं और जांच-पड़ताल कर रही हैं। इस सिलसिले में बीते दो हफ्तों में अलग-अलग राज्यों से 14 लोगों की गिरफ्तारी की है। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने पाकिस्तानी एजेंटों के साथ संवेदनशील जानकारी साझा की है।