जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजे गए, सरकार ने तबादले को दी मंजूरी

सरकार की मंजूरी मिलने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में कार्यभार संभालने के लिए कहा गया है। विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग (नियुक्ति प्रभाग) ने एक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी।

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जस्टिस यशवंत वर्मा। Photograph: (IANS)

नई दिल्लीः शुक्रवार को सरकार ने नकदी विवाद मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के तबादले को मंजूरी दे दी। जस्टिस वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा गया है। 

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर कथित तौर पर नोटों की अधजली गड्डियां मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनका तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट करने की सिफारिश की थी।

सरकार की मंजूरी मिलने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में कार्यभार संभालने के लिए कहा गया है। विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग (नियुक्ति प्रभाग) ने एक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी।

हाईकोर्ट में नई जिम्मेदारी संभालने का निर्देश

अधिसूचना के अनुसार, "राष्ट्रपति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने का निर्णय लिया है। राष्ट्रपति ने उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में पदभार संभालने का निर्देश दिया है।"

यह फैसला तब आया जब सरकार ने एक दिन पहले कहा था कि वह न्यायमूर्ति वर्मा के मामले की समीक्षा कर रही है और जल्द ही उनके स्थानांतरण पर निर्णय लिया जाएगा। 

इसके अलावा, केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक और न्यायाधीश चंद्र धारी सिंह की भी उनके मूल न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापसी को मंजूरी दे दी। यह स्थानांतरण लंबे समय से लंबित था और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इसे पहले ही मंजूरी दे दी थी।

तबादले के विरोध में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन

इससे पहले, जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में तबादले के विरोध में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया था। समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में बार एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने कहा कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती, बेमियादी हड़ताल जारी रहेगी।

उधर, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जज यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित एक न्यायिक पैनल इस मामले की जांच कर रहा है, और एफआईआर दर्ज करने पर कोई निर्णय जांच पूरी होने के बाद ही लिया जाएगा।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, "इन-हाउस जांच जारी है। यदि रिपोर्ट में कोई अनियमितता सामने आती है, तो एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जा सकता है या मामला संसद को भेजा जा सकता है। इस चरण में इस याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा।"

जस्टिस वर्मा के घर से भारी मात्रा में नोटों की गड्डियां बरामद हुई थीं

गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवासीय बंगले में आग लगने से एक बड़ा खुलासा हुआ था। इस घटना ने न्यायिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया था। जज के घर से भारी मात्रा में नोटों की अधजली गड्डियों की बरामदगी हुई थी। यह मामला संसद से सड़क तक चर्चा का विषय बना हुआ है।

विपक्ष के नेताओं ने इस मामले को काफी जोर-शोर से उठाया है, उनकी मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इस घटना ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को भी तत्काल कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। 

इस बीच, मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने इस पूरे मामले की गहराई से जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। हालांकि जस्टिस वर्मा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि उन्हें "सोची-समझी साजिश के तहत बदनाम किया जा रहा है।"

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