नई दिल्लीः ईरान-इजराइल तनाव लगातार जारी है और ईरान ने इजराइली मिसाइलों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के आगे न झुकने की बात की है। हालांकि कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है कि ईरान में वर्तमान शासन व्यवस्था के संस्थापक आयातुल्लाह रुहोल्लाह मुसावी खुमैनी की जड़ें भारत के एक गांव से जुड़ी हैं। इस गांव का वर्णन पौराणिक हिंदू ग्रंथ महाभारत में भी मिलता है।
आयातुल्लाह रुहोल्लाह मुसावी ने ईरान में इस्लामिक क्रांति का नेतृत्व किया और 1979 में देश के पहले सर्वोच्च नेता बने। उनके दादा सईद अहमद मुसावी का जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किंतूर गांव में हुआ था। यह गांव ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। यह गांव शिया विद्वता का केंद्र रहा है।
बाराबंकी से चले गए थे इराक
रुहोल्ला मुसावी का जन्म 19वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ था। बाद में इराक चले गए और नजफ शहर में रहने लगे। साल 1834 में वह ईरान के खोमेन शहर में रहने लगे। यहां पर उनके परिवार की धार्मिक और राजनीतिक शक्ति की खोज शुरू हुई। मुसावी ने अपनी उपाधि 'हिंदी' बरकरार रखी जो ईरानी अभिलेखों में भी मौजूद है और उनके वंश का प्रमाण है।
ऐसा माना जाता है कि रुहोल्लाह मुसावी पर उनके दादा अहमद मुसावी की धार्मिक शिक्षाओं का असर पड़ा जिसने बाद में ईरान की राजनीति शक्ति बदल दी।
इस्लामी क्रांति के अगुवा
आयातुल्लाह खुमैनी 1979 में ईरान में हुई इस्लामी क्रांति के नेता थे। उन्होंने ईरान में मोहम्मद रजा पहलवी को सत्ता से बेदखल कर ईरान की सर्वोच्च राजनैतिक और धार्मिक सत्ता हासिल की। शाह रजा पहलवी अमेरिका के करीबी माने जाते थे। खुमैनी के नेतृ्त्व में पहलवी के परिवार के खिलाफ आंदोलन शुरु हुआ। खुमैनी ने लोगों को यह बताना शुरू किया कि पहलवी अमेरिका के इशारों पर फैसला लेते हैं। इसका असर ऐसा हुआ कि ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई और खुमैनी सत्ता के शीर्ष पर काबिज हुए। साल 1989 में खुमैनी की मौत हो गई।
ऐसा माना जाता है कि खुमैनी एक विनम्र और जमीनी स्वभाव के थे। ईरान में सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी वह छोटे से घर में ही रहते थे। उनका घर आज भी किसी भी प्रकार की भव्यता से रहित है।
यह घर उन्हें सईद महदी इमाम द्वारा मुफ्त में मुहैया कराया गया था फिर भी वह उन्हें हजार रियाल देते थे।
आयातुल्लाह अली खामेनेई हैं खुमैनी के उत्तराधिकारी
खुमैनी के उत्तराधिकारी आयातुल्लाह अली खामेनेई ईरान का नेतृत्व कर रहे हैं। बीते दिन एक टेलीविजन पर संबोधन करते हुए उन्होंने घोषणा की कि तेहरान अमेरिकी दबाव और इजराइली मिसाइलों के हमले के आगे नहीं झुकेगा। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच बीते शु्क्रवार से लगातार मिसाइल और ड्रोन से हमले जारी हैं।
किंतूर गांव का धार्मिक रूप से बहुत महत्व है। इसका जिक्र हिंदू पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है। इस गांव का नाम पांडवों की माता कुंती के नाम पर रखा गया था। यह भी कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव इसी गांव में रुके थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां पर पांडवों ने शिव मंदिर की भी स्थापना भी की, जिसे कुंतेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर एक पवित्र पारिजात का पेड़ भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि अर्जुन इसे स्वर्ग से लेकर आए थे।