भारतीय छात्रों ने सुरक्षित निकासी की लगाई गुहार Photograph: (प्रतीकात्मक तस्वीर, IANS)
तेहरानः ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच सैकड़ों की संख्या में भारतीय छात्र वहां फंसे हुए हैं। इजराइल के बढ़ते अटैक के बीच छात्रों नें भारतीय सरकार से उन्हें निकालने की गुहार लगाई है। समाचार एजेंसी एएनआई को छात्रों ने बताया कि वे वहां अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं। वहीं, छात्रों ने कहा कि हम यहां मेडिकल की पढ़ाई करने आए थे और अब जिंदा रहने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं, भारतीय दूतावास भारतीय नागरिकों के संपर्क में है और लोगों से घर के अंदर रहने की अपील की है तथा दूतावास द्वारा जारी की गई एडवाइजरी को मानने की सलाह दी गई है। इसके अलावा भारत सरकार ने नागरिकों और राजनयिकों की सुरक्षित बाहर निकालने के लिए ईरान सरकार से मदद की गुहार लगाई है। ईरानी सरकार ने भारतीय राजनयिक मिशन को हरी झंडी दे दी है।
तेहरान की शहीद बेहश्ती विश्वविद्यालय एमबीबीएस के तृतीय वर्ष के छात्र इम्तिसाल मोहिदीन ने कहा "मैं शुक्रवार को तेज धमाकों की आवाज से सुबह 2:30 बजे उठी और बेसमेंट में भागे। हम तब से नहीं सोए हैं।" हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, इस विश्वविद्यालय में करीब 350 भारतीय छात्र पंजीकृत हैं। हालांकि, खराब परिस्थितियों को देखते हुए कक्षाएं निलंबित की गई हैं।
हॉस्टल से कुछ ही दूरी पर सुने गए धमाके
तेहरान में छात्रों के हॉस्टल्स और अपार्टमेंट्स से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर धमाके सुने गए हैं। इससे छात्र बेसमेंट में शरण लेने को मजबूर हैं। मोहिदीन ने समाचार एजेंसी एएनआई से फोन पर बात करते हुए कहा "हम अपने अपार्टमेंट के बेसमेंट में फंसे हुए हैं। हम हर रात धमाके सुनते हैं। एक धमाका केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर हुआ। हम तीन दिन से नहीं सोए हैं।"
छात्रों को डर केवल तेहरान में ही नहीं है। केरमन यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में फर्स्ट ईयर के छात्र फैजान नबी ने बताया कि उन इलाकों में भी डर फैल रहा है जो सुरक्षित माने जाते हैं। छात्र ने बताया "हमने अपने शहर में आज गोली की आवाजें सुनीं। तेहरान में मेरे दोस्त डरे हुए हैं। हमें 3-4 दिनों के लिए पानी इकट्ठा करने की सलाह दी गई है। यह इतना बुरा है।"
वहीं, तेहरान में ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेस की चौथे वर्ष की छात्रा मिधत ने पहली रात के हमलों को याद करते हुए उन्हें "सबसे भयावह" बताया। मिधत ने कहा "धमाके बहुत दूर नहीं थे- यह कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही थे। हर कोई डर रहा था। मेरा परिवार मुझ पर नजर रखता रहता है। हम खबरों पर नजर रख रहे हैं। "
हवाई मार्ग पूरी तरह से बंद
ईरान में परिस्थिति खराब होने के चलते हवाई क्षेत्र को पूरी तरह से बंद किया गया है। ऐसे में छात्रों के लिए अनिश्चित स्थिति है कि वे कब और कैसे वापस आने में सक्षम होंगे? छात्रों ने बताया कि वे घर के अंदर रह रहे हैं और मुख्य रूप से भारतीय दूतावास द्वारा जारी किए गए मैसेज और सुरक्षा सलाहों को निर्भर हैं। छात्र मोहिदीन ने कहा "हम भारत सरकार से परिस्थितियों के और बिगड़ने से पहले हमें निकाल लिया जाए। दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर शेयर किए हैं और संपर्क में हैं लेकिन हम डरे हुए हैं और हमें घर जाने की जरूरत है।"
हालांकि, भारतीय दूतावास व्हाट्सऐप के जरिए छात्रों के संपर्क में है और अपने नागरिकों से घर के अंदर रहने का आग्रह किया है। वहीं, कुछ छात्रों ने यह भी कहा है कि विश्वविद्यालयों ने पर्याप्त सहायता नहीं मुहैया कराई है।
भारतीय दूतावास ने ईरान में नागरिकों से एक टेलीग्राम ग्रुप में शामिल होने और वहां से अपडेट प्राप्त करते रहने को कहा है। इसके साथ ही इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर्स भी साझा किए हैं।
भारत सरकार ने क्या कदम उठाए?
वहीं, भारत सरकार ने ईरान के शहरों में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए ईरान से गुहार लगाई थी। भारत सरकार के अनुरोध के जवाब में ईरान ने कहा है कि देश में हवाई क्षेत्र पूरी तरह से बंद है लेकिन सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए जमीना रास्ते खुले हैं।
ईरानी विदेश मंत्री ने भारत के राजनयिक मिशन को हरी झंडी दे दी और राजनयिकों और नागरिकों को सुरक्षित निकालने में मदद की पेशकश की है।
इसके अलावा तेहरान ने भारत से सीमा पार करने वाले लोगों के नाम, पासपोर्ट नंबर और वाहन के विवरण उसके जनरल प्रोटोकॉल विभाग को देने को कहा। इसके साथ ही लोगों से यात्रा का समय और वे किस सीमा से बाहर जा रहे हैं इसकी भी जानकारी मांगी गई है ताकि राजनयिकों और नागरिकों की सुरक्षित यात्रा के लिए आवश्यक व्यवस्था की जा सके।
ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष के बीच हजारों की संख्या में भारतीय नागरिक वहां फंसे हुए हैं। इनमें से 1,500 के करीब छात्र जिनमें से अधिकतर जम्मू-कश्मीर से हैं।