उत्तर प्रदेशः फतेहपुर के एक मकबरे में हिंदू संगठनों ने की तोड़फोड़, कहा- मंदिर के ऊपर बनाया गया है

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में एक मकबरे को लेकर विवाद हो गया है। हिंदू संगठनों का दावा है कि यह मकबरा नहीं बल्कि भगवान शिव और ठाकुरजी का पुराना मंदिर है जबकि सरकारी रिकॉर्ड में यह मकबरा है।

fatehpur old tomb vandalised by hindu organisation accusing it s made on temple

फतेहपुर में एक मकबरे में हिंदू संगठनों ने की तोड़फोड़ Photograph: (सोशल मीडिया - एक्स)

फतेहपुरः उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में हिंदू संगठन के सदस्यों ने मकबरे में तोड़फोड़ की। घटनास्थल पर बजरंग दल समेत कई संगठनों के सदस्य मौजूद रहे। लोगों ने दावा किया कि इसे मंदिर के ऊपर बनाया गया है। इसके साथ ही वहां पर पूजा करने की भी मांग की। 

ऐसे में यहां पर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई जिससे निपटने के लिए पुलिस की तैनाती की गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने लाठियों से तोड़फोड़ की। 

सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है मकबरा

यह घटना जिले की सदर तहसील के रेडिया क्षेत्र स्थित अबु नगर में हुई, जहां पर यह ढांचा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कब्र  सरकारी रिकॉर्ड में खसरा संख्या 753 में दर्ज है। मठ मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति और भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य हिंदू समूहों ने इसे कथित तौर पर हजार साल पुराना ठाकुरजी और भगवान शिव का मंदिर घोषित कर दिया है, जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। 

इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिसमें देखा जा सकता है कि लाठी डंडा लिए तोड़फोड़ करते नजर आ रहे हैं और इनके हाथों में भगवा झंडे हैं। 

पत्रकारों से बात करते हुए फतेहपुर जिले के बजरंग दल के सह संयोजक धर्मेंद्र सिंह ने कहा "हम दोपहर में यहां प्रार्थना करेंगे। प्रशासन हमें नहीं रोक पाएगा। हिंदू धर्म में कोई भी हमारे प्रार्थना करने के अधिकार को नहीं छीन सकता। यह हमारा मंदिर है जिसे वे कब्र के रूप में संदर्भित करते हैं..."  

कैसे शुरु हुआ विवाद? 

यह विवाद तब शुरू हुआ जब भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने आरोप लगाया कि सदर तहसील क्षेत्र में स्थित नवाब अब्दुस समद का मकबरा, मकबरा नहीं बल्कि एक मंदिर है। उन्होंने इसे ठाकुर जी और भगवान शिव का मंदिर बताते हुए अंदर एक कमल का फूल और एक त्रिशूल की मौजूदगी को प्रमाण के तौर पर बताया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, समूह यहां पर आज पूजा करने की योजना बना रहा था जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

पाल ने जोर दिया कि प्रशासन यह स्वीकार कर चुका है कि ढांचा पहले मंदिर था और चेतावनी दी कि अगर पूजा करने से रोका गया तो सरकार इसके लिए जिम्मेदार होगी। उन्होंने कहा कि हम शांतिप्रिय लोग हैं लेकिन हमारे धर्म की रक्षा के लिए लड़ना पड़े तो हम हर तरह से तैयार हैं।

इसके साथ ही विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे ने भी दावा किया कि यह स्थल भगवान भोलेनाथ और श्रीकृष्ण का मंदिर है। उन्होंने कहा कि यह कब्र नहीं है। 

इस घटना की निंदा करते हुए राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के मोहम्मद नसीम ने इसे इतिहास और सांप्रदायिक सद्भाव को विकृत करने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि यह सदियों पुराना मकबरा है जिसके अंदर कब्रें हैं। इसके सरकारी दस्तावेज उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि क्या हम हर मस्जिद और कब्र के अंदर मंदिर ढूंढने जा रहे हैं?

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