बिहार के बाद चुनाव आयोग अब बंगाल और दिल्ली में भी शुरू करेगा विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण

दिल्ली के लिए अधिसूचित कट-ऑफ तिथि 16 मार्च 2008 तय की गई है, यानी इसके बाद जो भी मतदाता सूची में जुड़े हैं, उन्हें अब नागरिकता से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। जो ऐसा नहीं करेंगे, उनके नाम सूची से हट सकते हैं।

election commision,

नई दिल्लीः बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को लेकर भले ही राजनीतिक बवाल और कानूनी चुनौती जारी हो, लेकिन इसी बीच चुनाव आयोग (ECI) ने पश्चिम बंगाल और दिल्ली में भी इसी तरह की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर ली है। सूत्रों के अनुसार, यह अभ्यास अगस्त 2025 में शुरू किया जाएगा।

चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “बिहार के बाद विधानसभा चुनाव पश्चिम बंगाल में होने हैं, इसलिए हम पहले से ही सूची पुनरीक्षण की योजना बना रहे हैं।” दिल्ली में आखिरी बार मतदाता सूची का ऐसा सत्यापन 2008 में हुआ था, जबकि बंगाल में 2002 में।

दिल्ली के लिए अधिसूचित कट-ऑफ तिथि 16 मार्च 2008 तय की गई है, यानी इसके बाद जो भी मतदाता सूची में जुड़े हैं, उन्हें अब नागरिकता से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। जो ऐसा नहीं करेंगे, उनके नाम सूची से हट सकते हैं।

बिहार में पुनरीक्षण अभियान प्रक्रिया को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है, खासकर जब राजद और तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया "वैध युवाओं को वोट देने से वंचित करने की साजिश है" और आगे इसका दायरा बंगाल तक फैलाया जाएगा।

बिहारः वोटर लिस्ट में संशोधन के चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ ADR ने सुप्रीम कोर्ट का किया रुख

हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिहार में यह अभ्यास 24 जून को जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है और 1 अगस्त 2025 को जो ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल प्रकाशित होगा, उसमें उन्हीं लोगों के नाम होंगे जिन्होंने समय से फॉर्म जमा किया है।

आयोग ने बताया कि 25 जुलाई 2025 तक नागरिक दस्तावेज जमा किए जा सकते हैं, और यदि ड्राफ्ट सूची में नाम आने के बाद कोई दस्तावेज अधूरा हो, तो ERO (Electoral Registration Officer) उन्हें दावा और आपत्ति की अवधि के दौरान मंगा सकते हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त जानेश कुमार ने बताया कि पिछले चार महीनों में देशभर में 28,000 राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ 5,000 बैठकें हुईं और सभी ने मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर असंतोष जताया। इसलिए यह प्रक्रिया जरूरी हो गई थी।

इस बीच, बिहार में आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि "लोगों को 45 दिन की छूट दी गई है, जिससे दस्तावेज जमा करने का पर्याप्त समय मिला है।" हालांकि, विपक्ष इसे संवैधानिक अधिकारों पर हमला बता रहा है।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article