नई दिल्ली: आतंक के लिए फंडिंग के आरोपों में गिरफ्तार जम्मू-कश्मीर के बारामुला लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद को संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दिल्ली उच्च न्यायालय ने दे दी है। जस्टिस चंद्र धारी सिंह और  अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने निर्देश दिया कि राशिद 'हिरासत में' संसद में भाग लेंगे। इस दौरान उन्हें सेलफोन या लैंडलाइन का उपयोग करने, इंटरनेट का इस्तेमाल करने या मीडिया से बातचीत करने की इजाजत नहीं होगी। 

उच्च न्यायालय ने कहा कि राशिद 26 मार्च से 4 अप्रैल के बीच प्रत्येक दिन संसद की कार्यवाही समाप्त होने पर जेल वापस लौट आएंगे। शेख अब्दुल राशिद, जिन्हें इंजीनियर राशिद के नाम से जाना जाता है, पिछले साल बारामुला लोकसभा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय चुनाव जीतने में सफल रहे थे। इंजीननियर राशिद ने उमर अब्दुल्ला को हराया था, जो वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री हैं। 

इंजीनियर राशिद ने करीब 2 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। चुनाव के दौरन भी इंजीनियर राशिद जेल में बंद थे। गौरतलब है कि इससे पहले, जस्टिस विकास महाजन की एकल पीठ ने राशिद को 11 और 13 फरवरी को संसद में उपस्थित होने के लिए कस्टडी पैरोल प्रदान की थी।

इंजीनियर तिहाड़ जेल में 2019 से हैं बंद

साल 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में गिरफ्तार राशिद 2019 से दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किया गया था। एनआईए और ईडी द्वारा दर्ज किए गए दोनों मामलों में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख और 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिदीन के नेता सैयद सलाहुद्दीन और अन्य के नाम भी शामिल हैं।

ईडी ने एनआईए की एफआईआर के आधार पर आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। इसमें आरोपियों पर 'सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने' और कश्मीर घाटी में अशांति फैलाने का आरोप लगाया गया था।

एनआईए कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे थे राशिद

राशिद ने 10 मार्च को विशेष एनआईए अदालत द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्हें कस्टडी पैरोल देने से इनकार किया गया था। अपनी याचिका में राशिद ने कोर्ट के आदेश को 'गलत' बताया था।

इस पर हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी से जवाब मांगा था और उसे 17 मार्च से पहले कोई आपत्तियां हैं तो उसे दर्ज करने को कहा था। दूसरी ओर एनआईए ने राशिद इंजीनियर के मामले में कोर्ट में कहा था कि संसद सत्र में शामिल होना किसी सांसद का संवैधानिक अधिकार नहीं है। एनआईए ने ये भी कहा था कि राशिद पर गंभीर आरोप हैं और यदि वह संसद में कुछ कहते हैं तो उसकी गंभीरता क्या होगी। 

वहीं, नवंबर में एक अदालत ने सिफारिश की थी कि जिला न्यायाधीश उनके मामले को एमपी/एमएलए अदालत में स्थानांतरित कर दें, क्योंकि इंजीनियर राशिद एमपी बन गए थे। राशिद ने तब दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें ट्रायल के जज को उनकी जमानत याचिका पर निर्णय में तेजी लाने के निर्देश देने की मांग की गई थी। फिलहाल संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च को शुरू हुआ है और 4 अप्रैल को यह समाप्त होगा।