यौन दुराचार के आरोपों में घिरे कांग्रेस विधायक राहुल ममकूटाथिल पार्टी से निलंबित

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केपीसीसी अध्यक्ष के. मुरलीधरन ने सोमवार को त्रिशूर में पत्रकारों से बात करते हुए इस अनुशासनात्मक कार्रवाई की पुष्टि की। हालांकि, केपीसीसी ने अभी तक निलंबन की आधिकारिक पुष्टि के लिए कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की है।

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विधायक राहुल ममकूटाथिल। फोटोः फेसबुक

तिरुवनंतपुरम: केरल के युवा कांग्रेस नेता और विधायक राहुल ममकूटाथिल पर महिलाओं के साथ अनुचित यौन व्यवहार के आरोपों के बाद केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) ने उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई तब की गई है जब कुछ दिन पहले ही राहुल ने पार्टी के भीतर और बाहर बढ़ते दबाव के चलते युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केपीसीसी अध्यक्ष के. मुरलीधरन ने सोमवार को त्रिशूर में पत्रकारों से बात करते हुए इस अनुशासनात्मक कार्रवाई की पुष्टि की। हालांकि, केपीसीसी ने अभी तक निलंबन की आधिकारिक पुष्टि के लिए कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की है। केपीसीसी अध्यक्ष सनी जोसेफ ने कन्नूर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है, जिसमें वह इस फैसले की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।

क्या हैं आरोप और किसने लगाए?

यह विवाद पिछले हफ्ते तब शुरू हुआ जब मलयालम अभिनेत्री और पूर्व पत्रकार रिनी ऐन जॉर्ज ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि एक "युवा नेता" ने उन्हें आपत्तिजनक संदेश भेजे और एक होटल में आमंत्रित किया। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन बीजेपी और सीपीआई(एम) की युवा शाखा डीवाईएफआई ने ममकूटाथिल के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए उन पर आरोप लगाए।

इसके तुरंत बाद, लेखिका हनी भास्करन ने सार्वजनिक रूप से ममकूटाथिल का नाम लेते हुए उन पर लगातार संदेश भेजने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने उनकी बातचीत को गलत तरीके से पेश किया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके खिलाफ युवा कांग्रेस के भीतर पहले भी कई शिकायतें की गई थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ट्रांसजेंडर महिला अवंथिका ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ममकूटाथिल ने उन्हें ऐसे संदेश भेजे थे जिनमें उन्होंने उनसे 'बलात्कार' करने की इच्छा व्यक्त की थी।

बढ़ते विवाद के बीच, राहुल ममकूटाथिल ने युवा कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि उन्होंने किसी भी गलत काम से इनकार किया था। 

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क्या जाएगी विधायकी?

राहुल के निलंबन को पार्टी की अनुशासनात्मक प्रक्रिया का दूसरा चरण माना जा रहा है। के. मुरलीधरन ने कहा कि अब यह राहुल पर निर्भर करता है कि वह कांग्रेस विधायक के रूप में अपने पद पर बने रहना चाहते हैं या नहीं। उन्होंने साफ किया कि निलंबन ने ममकूटाथिल को केपीसीसी की राजनीतिक सुरक्षा से वंचित कर दिया है। मुरलीधरन ने यह भी कहा कि अगर उनके खिलाफ और भी शिकायतें सामने आती हैं तो पार्टी विधायक के रूप में उनके इस्तीफे की मांग सहित और भी सख्त कार्रवाई पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मामले में आंतरिक जांच के तहत राहुल को अपना पक्ष रखने का मौका देगी।

मुरलीधरन ने यह भी कहा कि कांग्रेस उपचुनाव से नहीं डरती। उन्होंने कहा, पिनाराई विजयन सरकार के कार्यकाल के अंत में उपचुनाव का कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा कि पालाक्कड़ विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला मुख्य रूप से कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। मुरलीधरन ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी से निलंबित होने के बाद राहुल ने कांग्रेस विधायक दल (सीपीएल) के सदस्य के रूप में अपने संसदीय विशेषाधिकार खो दिए हैं और उन्हें अब सीएलपी की बैठकों में आमंत्रित नहीं किया जाएगा, और न ही वह यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का हिस्सा रहेंगे।

इस मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर दो फाड़ साफ दिखाई दे रहे हैं। विपक्ष के नेता वीडी सतीशन और कांग्रेस विधायक उमा थॉमस चाहती हैं कि राहुल तुरंत इस्तीफा दें ताकि पार्टी नैतिक आधार पर मजबूत संदेश दे सके। वहीं, के. मुरलीधरन जैसे वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि निलंबन पहला कदम है और अगर और सबूत सामने आते हैं तो इस्तीफे की मांग की जाएगी। दूसरी ओर, सांसद शफी परम्बिल और कुछ अन्य नेताओं का कहना है कि बिना किसी पुलिस शिकायत के राहुल से विधायक पद छिनना जल्दबाजी होगी और इससे पार्टी को चुनावी नुकसान हो सकता है।

पार्टी का एक बड़ा धड़ा उपचुनाव की राजनीतिक जोखिम को देखते हुए फिलहाल सतर्क रुख अपनाए हुए है। पालाक्कड़ सीट पर भाजपा पिछली बार दूसरे स्थान पर रही थी, ऐसे में कांग्रेस को डर है कि इस्तीफे की स्थिति में उपचुनाव हारना पड़ सकता है। हालांकि, विरोधियों- सीपीआई(एम) और भाजपा ने इस्तीफे की मांग तेज कर दी है और कांग्रेस पर दिखावटी कार्रवाई का आरोप लगाया है।

मुरलीधरन ने राहुल के इस्तीफे की मांग करने वाली कांग्रेस विधायक उमा थॉमस पर हुए साइबर हमलों की भी निंदा की। उन्होंने कहा कि थॉमस ने विधायक के रूप में इस्तीफा देने की मांग करके केरल की महिलाओं के लिए आवाज उठाई है।

दूसरी ओर, सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने भी इस मुद्दे पर हमला किया है। एलडीएफ के संयोजक टीपी रामकृष्णन ने कहा कि ममकूटाथिल का विधायक पद से इस्तीफा देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अदालत में आरोपों को चुनौती दिए बिना युवा कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना एक तरह से दोष की स्वीकारोक्ति है। आबकारी मंत्री एमबी राजेश ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने केवल प्रतीकात्मक कार्रवाई करके ममकूटाथिल के साथ एक समझौता किया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पालाक्कड़ के मतदाताओं के साथ धोखा है, जो एक ऐसे विधायक के साथ रह गए हैं, जिसकी विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है।

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