तिरुवनंतपुरम: युवा कांग्रेस नेता और विधायक राहुल ममकूटाथिल पर महिलाओं द्वारा लगाए गए कथित दुर्व्यवहार के आरोपों ने केरल कांग्रेस में एक राजनीतिक भूचाल ला दिया है। इन आरोपों के बाद उन पर विधायक पद से भी इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है, जिससे पार्टी के भीतर गंभीर मतभेद पैदा हो गए हैं। राहुल ने दो दिन पहले ही युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

पूरा मामला तब शुरू हुआ जब एक टीवी पत्रकार-अभिनेत्री रिनी ऐन जॉर्ज ने सोशल मीडिया पर एक "युवा राजनेता" पर आपत्तिजनक संदेश भेजने और होटल के कमरे में बुलाने का आरोप लगाया। जल्द ही एक और महिला ने भी ऐसे ही आरोप लगाए, जिसके बाद विवाद ने तूल पकड़ लिया। आरोपों के बाद, राहुल ममकूटाथिल ने गुरुवार को युवा कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनके पालाक्कड़ विधानसभा सीट से विधायक बने रहने पर पार्टी में आंतरिक बहस छिड़ गई है।

मामले को लेकर कांग्रेस में दो फाड़

मामले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बयान एक-दूसरे से पूरी तरह अलग हैं। केरल मामलों की प्रभारी एआईसीसी महासचिव दीपा दासमूनशी ने शनिवार को कहा कि राहुल का इस्तीफा नैतिक आधार पर था और वह अध्याय समाप्त हो चुका है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अभी तक कोई पुलिस शिकायत या प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है।

इसके उलट, वरिष्ठ नेता और विपक्ष के नेता वीडी सतीशन का रुख ज्यादा कड़ा है। उन्होंने कहा कि इस्तीफा "कार्रवाई का पहला कदम" था और पार्टी इस मामले की "गंभीरता से जांच करेगी और बिना किसी समझौते के कार्रवाई करेगी।" पूर्व केपीसीसी अध्यक्ष के. मुरलीधरन ने भी कहा कि कथित आपत्तिजनक ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद पार्टी ने अपनी पिछली स्थिति पर फिर से विचार किया है और अब और अधिक सख्त कार्रवाई की संभावना है।

विधायक पद छोड़ने पर खींचतान 

राहुल ममकूटाथिल के विधायक पद से इस्तीफा देने की मांग ने पार्टी को दो खेमों में बांट दिया है। जो लोग उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, उनका मानना है कि इस विवाद को जल्द से जल्द खत्म करना जरूरी है, क्योंकि इसका असर आगामी स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की संभावनाओं पर पड़ सकता है। कांग्रेस विधायक उमा थॉमस ने कहा कि "राजनीतिक औचित्य" की मांग है कि उन्हें विधायक पद छोड़ना चाहिए। वरिष्ठ नेता टीएन प्रताप ने भी इसे बहुत गंभीर मामला बताते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में एक नेता को व्यक्तिगत और सार्वजनिक दोनों जीवन में एक आदर्श होना चाहिए।

दूसरी ओर, सांसद शफी परम्बिल ने राहुल का बचाव यह कहते हुए किया कि उनके इस्तीफे की मांग राजनीतिक रूप से प्रेरित है। उन्होंने तर्क दिया कि बिना किसी शिकायत या कानूनी मामले के ही राहुल ने नैतिक आधार पर अध्यक्ष पद छोड़ दिया था।

कांग्रेस के भीतर का एक बड़ा तबका इस मामले पर कदम उठाने से हिचक रहा है, क्योंकि अगर राहुल इस्तीफा देते हैं, तो पालाक्कड़ सीट पर उपचुनाव होगा। पिछले उपचुनाव में भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी, जिससे कांग्रेस को उपचुनाव हारने का खतरा है। पार्टी को लगता है कि यह विवाद जल्दी शांत नहीं होगा और इसका चुनावी जोखिम उठाना पड़ सकता है। सतीशन ने कहा है कि कांग्रेस इस मामले में सीपीआई(एम) या बीजेपी के फैसलों से प्रभावित नहीं होगी, जो यौन उत्पीड़न के मामलों के बावजूद अपने नेताओं को पद पर बनाए रखते हैं।