बिहारः वोटर लिस्ट रिवीजन से सिर्फ विपक्ष ही नहीं, BJP की भी बढ़ी टेंशन

बिहार में चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट को लेकर सिर्फ विपक्ष ही नहीं बल्कि भाजपा भी टेंशन में हैं। भाजपा इसको लेकर पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रही है और बीएलए की संख्या बढ़ा रही है।

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चुनाव आयोग के एसआईआर प्रक्रिया से टेंशन में भाजपा Photograph: (आईएएनएस)

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) से पहले चुनाव आयोग (EC) विशेष गहन पुनरीक्षण करा रहा है। इसको लेकर जहां विपक्ष चुनाव आयोग पर निशाना साध रहा है तो वहीं भाजपा भी टेंशन में है। 

भारतीय जनता पार्टी के संगठन सचिव भीखू भाई दलसानिया ने सोमवार को राज्य के 26 पदाधिकारियों के साथ इसको लेकर बैठक की। इस दौरान उन्होंने पदाधिकारियों से राज्य में जाकर वोटर्स से मिलने, उनकी आशंकाओं को दूर करने और नामांकन प्रक्रिया में पार्टी समर्थकों की मदद करने का निर्देश दिया।

भाजपा को किस बात की सता रही चिंता

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि भाजपा को चिंता है कि उसने विपक्ष को इस मुद्दे पर अपनी बात रखने का अवसर दे दिया है। विपक्ष इस मुद्दे पर वोटर्स को "बड़े पैमाने पर मताधिकार से वंचित" होने की चेतावनी दे रहा है। इसके साथ चुनाव आयोग द्वारा इसको लेकर की गई जल्दबाजी पर भी सवाल उठा रहा है। वहीं, मतदाताओं तक अपने बूथ लेवल एजेंटों की संख्या बढ़ाने पर भी विपक्ष जोर दे रहा है। 

बीते सप्ताह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष बिहार में थे। इस दौरान संतोष ने राजगीर और मुजफ्फरपुर में उच्च-स्तरीय बैठकें कीं। इस बैठक में संतोष चुनाव तैयारियों के अलावा यह भी जानना चाहते थे एसआईआर को लेकर लोगों की क्या प्रतिक्रिया है?

वहीं, सोमवार को हुई बैठक में दलसानिया ने भाजपा नेताओं से अधिक से अधिक बूथों पर पार्टी के बूथ स्थरीय एजेंटों के पहुंचने को कहा है। 19 जुलाई से भाजपा के नेता एसआईआर को लेकर अपने फीडबैक प्राप्त करने के लिए विधानसभा वार बैठकें करेंगे। यह कार्यक्रम 31 जुलाई तक चलेगा। ज्ञात हो कि एक अगस्त को मतदाता सूची का पहला ड्राफ्ट प्रकाशित होगा।

भाजपा नेताओं ने क्या कहा?

दलसानिया के नेतृत्व में हुई इस बैठक के बारे में बात करते हुए एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बैठक में लोगों की चुनाव आयोग द्वारा कराई जा रही एसआईआर पर लोगों की चिंताओं पर बात की गई। उन्होंने बताया कि अभी तक आवेदन करने वाले किसी भी वोटर को रसीद (दूसरा गणना फॉर्म) भी नहीं दिया जा रहा है। अधिकांश लोगों का दावा है कि उनसे किसी ने फॉर्म नहीं लिया है

भले ही विपक्ष बूथ लेवल एजेटों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रहा है लेकिन भाजपा के पास अभी भी 52,000 से अधिक बीएलए हैं। भाजपा नेता ने कहा कि संख्या में बढ़त के बावजूद अभी तक कार्यकर्ता सभी 73,000 बूथों तक नहीं पहुंच पाए हैं। 

भाजपा नेता ने आगे बताया कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग द्वारा इतनी बड़ी कवायद शुरू करने के फैसले ने भाजपा को भी आश्चर्यचकित कर दिया है। उन्होंने बताया कि बीएलए इसके लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा कि जब हमने विपक्षी दलों को बूथ स्तर पर सक्रिय देखा तो हमें लगा कि हमें भी तालमेल बिठाना होगा और काम में बराबरी से जुटना होगा

उन्होंने आगे कहा कि एक अगस्त के बाद जब वोटर्स को नामांकन के लिए अतिरिक्त दस्तावेज अपलोड करने होंगे तो यह और महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि अभी तक की प्रक्रिया से पता चला है कि फॉर्म जमा करने वालों में से 30 प्रतिशत ने ही आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने जमा किए गए फॉर्मों का विवरण नहीं दिया है लेकिन जमीनी स्तर की रिपोर्ट से पता चलता है कि करीब 70-80 प्रतिशत लोगों ने चुनाव आयोग द्वारा बताए गए 11 दस्तवाजों में से एक भी जमा नहीं किया है

दो तरह के होते हैं बीएलए

चुनाव नामांकन अधिकारी जमा किए गए दस्तावेजों के आधार पर ही अंतिम निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं बीएलए एसआईआर के आखिरी आदेश तक डटे रहें। 

उन्होंने कहा कि दो तरह के बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) होते हैं। एक वे जो प्रत्येक विधानसभा के लिए होते हैं और ये विधानसभा को कवर करते हैं। वहीं दूसरे वे जो बूथ स्तर पर चुनाव आयोग के बूथ लेवल अधिकारियों के साथ बातचीत करते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के पदाधिकारी दोनों बीएलए के साथ मिलकर काम करेंगे। 

भाजपा के एक प्रवक्ता ने इस बाबत कहा "हम एसआईआर प्रक्रिया की प्रशंसा करते हैं लेकिन हमारी चिंताएं हैं. हम सभी वैध वोटर्स के नाम लिस्ट में शामिल करने के लिए सहयोग कर रहे हैं लेकिन ऐसी संभावनाएं हैं कि जो काम करने के लिए बाहर गए हैं, छूट सकते हैं। हम आशा करते हैं कि चुनाव आयोग का ऑनलाइन ऐप समस्या का समाधान करेगा।"

चुनाव आयोग ने दिया था एसआईआर का आदेश

25 जून को चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर आदेश के बाद पार्टियां बूथ लेवल एजेंटों की संख्या पर जोर दे रही हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बीएलए की संख्या में 25 जून से 2 जुलाई तक 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इनमें से इंडिया ब्लॉक की पार्टियों राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियों ने 17.51 प्रतिशत बीएलए बढ़ाए हैं। ऐसे में इन पार्टियों के बीएलए की संख्या संयुक्त रूप से 56,038 से बढ़कर 65,853 हो गई है। इनमें से कांग्रेस सबसे आगे है जिसके बीएलए 8,586 से बढ़कर 16,500 हो गए हैं। कांग्रेस के बीएलए की संख्या में करीब 92 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 

विपक्षी पार्टियों की तुलना में सत्तारूढ़ पार्टियों में शामिल भाजपा और जेडीयू के बीएलए की संख्या में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। ऐसे में इनके बीएलए की संख्या 80,083 से बढ़कर 88,781 हो गई है। इनमें भाजपा के बीएलए की संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई है। भाजपा के 51,964 बीएलए से बढ़कर 52,689 हो गए हैं। वहीं, जेडीयू के बीएलए की संख्या 27,931 से बढ़कर 34,669 हो गई है।

गौरतलब है कि बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर इसी साल अक्तूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं। इसको लेकर सभी पार्टियां कमर कस चुकी हैं और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।

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