नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीद पर रोक का दावा एक बार फिर से दोहराया है। ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब वह आसियान शिखर सम्मेलन के साथ अपने पहले एशिया दौरे पर हैं।
रविवार, 26 अक्टूबर को पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने अपने दावों को दोहराते हुए कहा कि नई दिल्ली, रूस से तेल आयात में कटौती कर रही है।
भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध उच्च टैरिफ और नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल की खरीद की वजह से तनावपूर्ण हो रहे हैं। रूस के साथ तेल व्यापार के कारण ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है और उस पर यूक्रेन में युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
इस दौरान यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या ट्रंप अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के साथ रूसी तेल की खरीद पर चर्चा करेंगे। इस पर ट्रंप ने कहा कि मैं इस पर विचार कर सकता हूं। आपने शायद यह देखा होगा कि चीन रूसी तेल की खरीद में भारी कटौती कर रहा है और भारत पूरी तरह से कटौती कर रहा है और हमने भी प्रतिबंध लगा दिए हैं।
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इससे पहले ट्रंप ने इस हफ्ते की शुरुआत में रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों की घोषणा की। भारत और चीन द्वारा रूसी तेल की खरीद पर ट्रंप की यह टिप्पणी दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्र्पति शी जिनपिंग के साथ उनकी निर्धारित बैठक से पहले आई है।
ट्रंप और जिनपिंग के बीच यह मुलाकात अमेरिका द्वारा चीन पर टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद हो रही है। यह मुलाकात चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के प्रयासों का हिस्सा है।
भारत ने ट्रंप के दावों को किया खारिज
ट्रंप ने इससे पहले इसी महीने की शुरुआत में भी ऐसा दावा किया था। इस दौरान ट्रंप ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत रूस के साथ तेल खरीद पर कटौती करेगा और उसे बंद करेगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने हालांकि इस बयान का विरोध किया था जिसमें कहा था कि भारत अस्थिर ऊर्जा बाजार के बीच अपने राष्ट्रीय हित और भारतीय उपभोक्ताओं को प्राथमिकता देगा।
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आगे विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि मंत्रालय दोनों नेताओं के बीच हुई फोन कॉल का “पता नहीं” है। इसके बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बार फिर दावा किया है कि भारत सहमत हो गया है।
ट्रंप ने कहा कि “भारत, जैसा कि आप जानते हैं कि भारत ने मुझे बताया है कि वे इसे बंद करने जा रहे हैं… यह एक प्रक्रिया है। आप इसे (रूस से तेल खरीद)” यूं हीं बंद नहीं कर सकते। साल के अंत तक उनके पास लगभग नहीं के बराबर तेल रह जाएगा, यह लगभग 40 फीसदी होगा

