Thursday, October 16, 2025
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सीएम मोहन यादव के बयान ‘माखन चोर नहीं, विद्रोही थे श्रीकृष्ण’ पर छिड़ा राजनीतिक विवाद, कांग्रेस ने घेरा

भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के जन्माष्टमी पर दिए बयान से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को ‘माखन चोर’ कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह संबोधन उनके व्यक्तित्व और संदेश को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है।

सीएम यादव ने कार्यक्रम में कहा, “माखन चोर शब्द कहना भी उचित नहीं लगता। श्रीकृष्ण का माखन के प्रति प्रेम ऐसा था कि वह अक्सर कंस के घर तक पहुंचता था। कंस का अत्याचार यह था कि वह गांव वालों के अधिकार का माखन छीनकर खाता था। इसी शोषण का विरोध करने के लिए कृष्ण ने अपने गोपाल मित्रों के साथ मिलकर माखन के घड़े फोड़ दिए या खुद खा लिया, ताकि शत्रु के हाथ तक न पहुंचे। यह चोरी नहीं, बल्कि विद्रोह और प्रतिरोध का संदेश था।”

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि श्रीकृष्ण नंद बाबा के घर में पैदा हुए थे, जहां हजारों गायें थीं और दूध, दही, माखन की कोई कमी नहीं थी। ऐसे में उन्हें चोरी करने की आवश्यकता ही क्यों पड़ती। उनके अनुसार, “कृष्ण विद्रोही थे, माखन चोर नहीं।”

सरकार का जनजागरण अभियान

मुख्यमंत्री की इस सोच को आगे बढ़ाते हुए राज्य का संस्कृति विभाग अब एक जन-जागरण अभियान शुरू करने जा रहा है। अभियान में कहानीकारों, भजन गायक, पुजारियों और प्रवचकों की मदद से लोगों को यह बताया जाएगा कि माखन-मटकी फोड़ना दरअसल कंस के अन्याय के खिलाफ विद्रोह का प्रतीक था, न कि चोरी।

सीएम के सांस्कृतिक सलाहकार श्रीराम तिवारी ने पुष्टि की, “हम लोगों को यह समझाने का प्रयास करेंगे कि श्रीकृष्ण का यह कृत्य शत्रु के शोषण के खिलाफ विद्रोह था। कई संत-समाज भी इस बात से सहमत हैं कि ‘माखन चोर’ शब्द उपयुक्त नहीं है।”

कांग्रेस का पलटवार

हालाँकि इस बयान और अभियान को लेकर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव सनातन परंपराओं और कृष्ण कथा को राजनीतिक फायदे के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण की लीलाओं को सदियों से जिस रूप में जन-जन ने स्वीकार किया है, क्या अब मुख्यमंत्री उसे बदलना चाहते हैं? क्या मोहन यादव कृष्ण लीलाओं की कहानी बदलकर इतिहास लिखना चाहते हैं। 

सिंघार ने कहा, हम भी मानते हैं कि कृष्ण चोरी नहीं करते थे, लेकिन यह जनमानस की आस्था और परंपरा का हिस्सा है। मुख्यमंत्री को कृष्ण लीला बदलने की जगह जनता को यह बताना चाहिए कि उन्होंने सत्ता हासिल करने के लिए किस तरह जनता का जनादेश चुराया।”

 

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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