तरुण भटनागर

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कहानीकार और उपन्यासकार हैं । इनके चार कहानी संग्रह हैं- 'गुलमेंहदी की झाड़ियाँ','भूगोल के दरवाज़े पर', 'जंगल में दर्पण' तथा 'प्रलय में नाव'। चयनित कहानियों की किताबें 'गौरतलब कहानियाँ',' मैं और मेरी कहानियाँ', 'वनमाली सिरीज : दस कहानियाँ' आदि। तीन उपन्यास 'लौटती नहीं जो हँसी',' राजा, जंगल और काला चाँद' तथा 'बेदावा'। उपन्यास 'राजा, जंगल और काला चाँद' तथा कहानियों की किताब 'प्रलय में नाव' का अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित। साहित्यिक पत्रिका 'रचना समय' और 'पल प्रतिपल' के रचना केंद्रित समग्र अंक,रचना समय की एक पुस्तिका कहानी 'पारगमन' पर। नवीन उपन्यास और चयनित कहानियों की एक किताब शीघ्र प्रकाशनाधीन। भारत भवन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य। वागेश्वरी सम्मान, स्पन्दन कृति सम्मान, वनमाली सम्मान, मध्य भारत हिंदी साहित्य सभा का हिंदी सेवा सम्मान आदि। वर्तमान में इंदौर में निवासरत हैं।

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