लेखक और पत्रकार प्रियंका दुबे बीते एक दशक से सामाजिक न्याय और मानव अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग करती रही हैं। उनकी रिपोर्टिंग को मिले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों में 2019 का चमेली देवी जैन राष्ट्रीय पुरस्कार, 2015 का नाइट इंटरनैशनल जर्नलिज़म अवार्ड, 2014 का कर्ट शोर्क इंटरनैशनल अवार्ड, 2013 का रेड इंक अवार्ड, 2012 का भारतीय प्रेस परिषद का राष्ट्रीय पुरस्कार और 2011 का रामनाथ गोयनका पुरस्कार शामिल हैं। 2016 में वह लंदन की वेस्टमिनिस्टर यूनिवर्सिटी में चिवनिंग फेलो थीं। 2015 में सामाजिक मुद्दों पर उनके लेखन को इंटरनैशनल विमन मीडिया फ़ाउंडेशन का ‘होवर्ड जी बफेट ग्रांट’ घोषित किया गया था। साइमन एंड चिश्टर द्वारा 2019 में प्रकाशित ‘नो नेशन फ़ोर विमन’ उनकी पहली किताब है। इसे 2019 के ही शक्ति भट्ट फ़र्स्ट बुक प्राइज़, टाटा लिटेरेचर लाइव अवार्ड और प्रभा खेतान विमेन्स वोईसे अवार्ड के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया था। हिंदी में उनकी कविताएँ, गद्य और साहित्यिक लेख कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। इस समय पहले उपन्यास पर काम जारी है।