कोलकाताः पूर्व भारतीय क्रिकेटर और बहरामपुर से सांसद यूसुफ पठान के अदीना मस्जिद में जाने के एक बार बाद फिर से विवाद शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल में स्थित अदीना मस्जिद को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित किया गया है।
यूसुफ पठान ने इस मस्जिद का दौरा करने के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने कहा कि वास्तुकला का अद्भुत नमूना बताया। सोशल मीडिया पर इस पोस्ट के बाद से भाजपा समर्थकों और सोशल मीडिया यूजर्स ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कुछ यूजर्स ने अदीना मस्जिद को आदिनाथ मंदिर बताया। यूजर्स ने दावा किया कि यहां पर आदिनाथ मंदिर था और इस पर अदीना मस्जिद बनाई गई थी।
सोशल मीडिया पर भगवान गणेश और शिव जैसे देवताओं की ऐतिहासिक संदर्भ वाली तस्वीरें शेयर की गईं।
यूसुफ पठान की पोस्ट से उपजा विवाद
पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि यह संरचना उपमहाद्वीप में निर्मित सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है जो आज खंडहर में तब्दील हो चुकी है। यूसुफ ने यह पोस्ट 16 अक्टूबर को की थी।
पठान ने अदीना मस्जिद को लेकर ट्वीट किया कि यह मस्जिद ऐतिहासिक है। इसका निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था। इलियास शाही वंश के दूसरे शासक सुल्तान सिकंदर शाह ने इसका निर्माण कराया था। 1373-1375 ईस्वी निर्मित यह मस्जिद अपने समय में भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी मस्जिद थी, जो इस क्षेत्र की स्थापत्य कला की भव्यता को दर्शाती है।
इसके अलावा मस्जिद के बाहरी हिस्सों में हाथियों और नृत्य करती आकृतियों की नक्काशी है। यह मस्जिद बंगाल सल्तनत की पूर्व राजधानी पांडुआ में स्थित थी।
इस पोस्ट के बाद उन्हें तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। यूजर्स ने उन पर ढांचे की कथित उत्पत्ति को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। वहीं, भाजपा की बंगाल इकाई ने ट्वीट किया “सुधारः आदिनाथ मंदिर।”
काफी पुराना है विवाद
मंदिर-मस्जिद विवाद का मुद्दा पहली बार साल 2022 में उठा था। इस दौरान भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रथींद्र बोस ने ट्वीट किया कि आदिनाथ मंदिर मस्जिद के ढांचे नीचे दबा हुआ है। बोस ने ट्वीट किया कि आदिनाथ मंदिर इस अदीना मस्जिद के नीचे स्थित है। उन्होंने आगे लिखा था कि यह इतिहास बहुत लोगों को नहीं पता है।
यूसुफ पठान का पोस्ट ऐसे समय में आया है जब बनारस में ज्ञानवापी मस्जिद सहित कई राज्यों में मंदिर-मस्जिद विवाद बढ़ने लगे हैं। इससे पहले साल 2024 में भी यह मुद्दा सुर्खियों में आया था जब एक हिंदू पुजारी हिरण्मय गोस्वामी ने भक्तों के एक समूह का नेतृत्व करते हुए अदीना मस्जिद परिसर के अंदर पूजा की थी।
पुलिस ने हालांकि इस मामले में हस्तक्षेप किया और संभावित संप्रदायिक अशांति को टाल दिया। इसके बाद में गोस्वामी ने दावा किया था कि अपनी यात्रा के दौरान उन्हें एक शिवलिंग और हिंदू संस्कृति से जुड़े कई अन्य प्रतीक मिले। पुजारी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने इस मुद्दे को उठाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था। वह ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि मामलों के पैरोकार हैं। उन्होंने अपने पत्र में हिंदुओं को मस्जिद परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी थी।
उन्होंने इसको लेकर एक्स पर एक वीडियो भी शेयर किया। उन्होंने वीडियो में कहा कि यह एक भव्य मंदिर था। इसके कई प्रतीक अभी भी मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि एक नहीं बल्कि 32 तस्वीरें मौजूद हैं जो स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि यह एक भव्य मंदिर था और इसे ध्वस्त कर दिया गया था।
एएसआई ने हालांकि इस मामले में स्पष्ट रुख बनाए रखा है और कहा कि अदीना मस्जिद राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है।